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भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपाय क्या हैं? भारत के चुनाव आयोग के कार्य पद्धति की सीमाएँ क्या हैं? (250 शब्द)

16 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• चुनाव आयोग की संवैधानिक स्थिति का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

• इसकी स्वतंत्रता व निष्पक्षता को सुनिश्चित करने हेतु क्या प्रावधान किये गए हैं, संक्षेप में बताइये।

• चुनाव आयोग की कार्यपद्धति की सीमाएँ लिखिये।

• निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

संविधान के अनुच्छेद-324 में संसद, राज्य विधान सभा, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिये संचालन, निर्देशन व नियंत्रण का उत्तरदायित्व भारतीय चुनाव आयोग को सौंपा गया है। यह एक स्थायी व स्वतंत्र निकाय है।

निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों से मिलकर बना है जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता व स्वतंत्रता

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा शर्तों में उसकी नियुक्ति के पश्चात् अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
  • अन्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अनुमोदन द्वारा ही हटाया जा सकता है।

चुनाव आयोग की कार्यपद्धति की सीमाएँ

  • संविधान में निर्वाचन आयुक्तों की सेवानिवृत्ति के पश्चात् सरकार के अधीन किसी दूसरी नियुक्ति पर रोक नहीं लगाई गई है।
  • संविधान द्वारा सदस्यों की विधिक, शैक्षिक, प्रशासनिक या न्यायिक अर्हता का निर्धारण नहीं किया गया है।
  • अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने में असफल होना।
  • आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में प्रभावी क्रियान्वयन का अभाव होना।
  • चुनावों में कालेधन के प्रयोग को रोकने में असफल होना।
  • चुनावों में जाति, धर्म, धन बल के प्रयोग को रोकने की सीमित क्षमता।

निष्कर्ष

चुनाव आयोग प्रशासनिक, सलाहकारी व अर्द्ध-न्यायिक शक्तियों से युक्त एक संस्था है मतदाता सूची पंजीकरण प्रव्रिया में तकनीक का प्रयोग कर व चुनावों में बाहुबल व धनबल के प्रयोग को रोककर चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष, त्वरित व मतदाता अनुकूल बनाने की आवश्यकता है।