समकालीन भू-राजनीति भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक अभिसरण की आवश्यकता पर जोर देती है, लेकिन यह भारत द्वारा रूस की उपेक्षा की कीमत पर नहीं होना चाहिये। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
13 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | अंतर्राष्ट्रीय संबंधहल करने का दृष्टिकोण :
परिचय:
जहाँ एक ओर वर्ष 1971 की शांति, मैत्री और सहयोग की भारत-सोवियत संधि, शीत युद्ध के दौर में सोवियत रूस के प्रति भारत के झुकाव को दर्शाती है। दूसरी ओर भारत के अमेरिकी संबंधों को 70 के दशक में भारत के परमाणु कार्यक्रम के संदर्भ में अविश्वास के साथ देखा गया। हालाँकि हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों में निकटता आई है और आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में सहयोग मज़बूत हुआ है।
प्रमुख बिंदु :
भारत और अमेरिका के बीच समकालीन भू-राजनीति अच्छे संबंधो पर बल देती है। इसके लिये निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं :
चीन का बढ़ता प्रभुत्व : अमेरिका हिंद -प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिये भारत को एक मुख्य सुरक्षा प्रदाता मानता है। दक्षिण चीन सागर में चीनी दुस्साहस ने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच चतुर्भुज समूह के गठन को गति प्रदान की है।
आतंकवाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध भारत के मजबूत अभियान के साथ जोड़ा जा सकता है। जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को यू .एन.एस.सी. द्वारा वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करना, भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक सहयोग के एक नए स्तर का संकेत देता है।
रक्षा सहयोग
इसलिये अमेरिका के साथ सहयोग भारत के रणनीतिक हित में है। हालाँकि भारत और अमेरिका के बीच कुछ विवादित मुद्दे हैं, जो भारत को अमेरिका से अलग मत रखने को मजबूर करते है। उदाहरण के लिये:
इसलिये अमेरिकी नेतृत्व की अप्रत्याशित विदेशी नीतियाँ भारत को उसके पुराने सहयोगी रूस से निकटता बढ़ाने के लिये बाध्य करती हैं। भारत के लिये रूस के महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
इसके अलावा यह कहा जा सकता है कि चीन और पाकिस्तान के साथ रूस की निकटता केवल सामरिक है और मुख्य रूप से पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण प्रेरित है जबकि भारत-रुस साझेदारी रणनीतिक है। रूस भारत को चीन के विरुद्ध एक प्रतिसंतुलक के रूप में देखता है, इसीलिये रूस ने एस.सी.ओ.(SCO) में भारत के शामिल होने को समर्थन प्रदान किया है।
निष्कर्ष:
भारतीय राजनयिकों को अपनी सामरिक स्वायत्तता को कम किये बिना अमेरिका और रूस के बीच एक उचित संतुलन बनाए रखने और भारत के राष्ट्रीय हितों के लिये कार्य करने की आवश्यकता है। हेनरी किसिंजर के शब्दों में "अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता हैं, केवल स्थायी हित होते हैं।"