हालाँकि पूर्ववर्ती योजनाओं की तुलना में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) में सुधार हुआ है, फिर भी इसकी चुनौतियों से उबरना अभी शेष है। परीक्षण कीजिये। (250 शब्द )
12 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
• पी.एम.एफ.बी.वाई. को शुरू करने के कारणों का परीक्षण कीजिये।
• पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं से इसकी तुलना करते हुए इसके लाभों को रेखांकित कीजिये।
• इस योजना की चुनौतियों को लिखिये व आगे की राह सुझाइये।
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परिचय:
- हाल के वर्षों में ऋणग्रस्तता, फसल का नष्ट, गैर-लाभकारी मूल्यों व न्यून उत्पादकता आदि के कारण कृषि संकट उत्पन्न हुआ। वर्ष 2015 में 39% किसानों ने ऋणग्रस्तता व बैंक दिवालियेपन के कारण आत्महत्याएँ की।
- कृषि संकट को दूर करने व किसानों कोे संरक्षण प्रदान करने के लिये केंद्र सरकार ने फसल बीमा के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) शुरू की। इस योजना ने इसकी पूर्ववर्ती राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का स्थान लिया।
प्रमुख बिंदु:
- पी.एम.एफ.बी.वाई. निम्नलिखित कारणों से इसको पूर्ववर्ती योजनाओं से अधिक कृषिक-अनुकूल है-
- इस योजना के कृषक अनुकूल प्रावधान, कम प्रीमियम, बढ़ा हुआ फसल क्षेत्र व अधिक फसलों को शामिल करने के कारण यह कृषक अनुकूल है।
- संस्थागत ऋण लेने वाले कृषकों के लिये इस योजना की सदस्यता लेना अनिवार्य है।
- यह नुकसान के सही आंकलन व किसानों को त्वरित भुगतान के लिये नवीन तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देती है।
पी.एम.एफ.बी.वाई. के समक्ष चुनौतियाँ:
- अपर्याप्त व देरी से भुगतान: बीमा कंपनियाँ कभी-कभी स्थानीय आपदा के दावे को स्वीकार नहीं करती जिस कारण किसानों को बीमा की राशी नहीं मिल पाती और मिलती भी है तो देरी से।
- अपर्याप्त फसल बीमा क्षेत्र: यह योजना केवल रबी व खरीफ की फसलों को बीमा प्रदान करती है। जबकि अन्य काफी फसलें इसके कवर क्षेत्र से बाहर रह जाती है।
- केवल ऋणी किसानों के लिये कवरेज: यह योजना केवल ऋणग्रस्त किसानों तक सीमित रह गई है। जबकि इस योजना का लाभ बटाईदारों व पट्टेदारों को नहीं मिल पा रहा है।
- जलवायु सुमेद्य क्षेत्रों में विफलता: यह योजना जलवायु सुभेद्य क्षेत्रों जैसे बुंदेलखंड व मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों के किसानों कम उपज व ऋण चुकाने की विफलता की दशा में सुरक्षा के उपाय उपलब्ध न करवा पाने के कारण इस योजना की विफलता दिखाते हैं।
किसान के लिये शिकायत निवारणतंत्र का अभाव:
आगे की राह:
- इस योजना को प्रभावी बनाने व किसानों को समुचित लाभ प्रदान करने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:
- कवरेज को बटाईदारों व पट्टेदार किसानों तक विस्तृत किया जाना चाहिये।
- आवारा पशुओं, आग, शीतलहर व पाले के कारण होने वाले फसल नुकसान का कवर प्रत्येक पृथक ईकाई के आधार पर किया जाना चाहिये।
- बीमा भुगतान के दावों का निपटारा व भुगतान शीघ्र किये जाना चाहिये।
- योजना की निगरानी व शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता व्यवस्था की जानी चाहिये।