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  • 12 Jul 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    भारत की कल्याणकारी योजनाओं में प्रणालीगत दोष योजनाओं के अभिकल्पना के स्थान पर वितरण के अंतिम बिंदु में है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सुभेद्य वर्ग के कल्याण हेतु संवैधानिक प्रावधानों का परिचय दीजिये।

    • भारत के योजनाओं के कार्यान्वयन में उपस्थित चुनौतियों का विवरण दीजिये।

    • इन योजनाओं की अभिकल्पना से संबंधित कुछ मुद्दों को लिखिये।

    • योजना के वितरण को सुनिश्तिच करने हेतु कुछ सुझाव दीजिये।

    परिचय:

    • संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व में सरकार को सुभेद्य वर्ग के लिये कल्याणकारी योजानाओं के निर्माण व क्रियान्वयन के निर्देश दिये गए हैं। इस प्रकार का योजनाओं की अभिकल्पना मंत्रालय स्तर पर किया जाता है और स्थानीय स्तर पर क्रियान्वित किया जाता है।

    प्रमुख बिंदु:

    योजनाओं के अपर्याप्त क्रियान्वयन व अंतिम बिंदु तक वितरण में विफलता के निम्नलिखित कारण है-

    • अधिकारियों की असक्षमता: योजना की अपर्याप्त निगरानी, जबाबदेही का अभाव, भ्रष्टाचार आदि इन योजनाओं के कार्यान्वयन में अधिकारियों की असक्षमता के प्रमुख कारण है।
    • कार्यकारी अधिकारियों पर राजनीतिक दबाब, जो अधिकारियों की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।
    • स्थानीय स्तर पर कार्यकर्त्ताओं पर कार्य का अधिक बोझ आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं पर आई.सी.डी.एस. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं के स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन का दायित्त्व होता है जबकि उनकी कार्य दशा, अनियमित वेतन भुगतान आदि समस्याएँ उनकी कार्यदक्षता को प्रभावित करती है।
    • स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन आदि क्षेत्रों में मूलभूत अवसरंचना में कमी के कारण योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न करती है।

    योजनाओं की अभिकल्पना में कमियाँ:

    • योजनाओं की अभिकल्पना में राजनीतिक पूर्वाग्रह: कुछ योजनाओं की घोषणा केवल राजनीतिक लाभ के लिये की जाती है। हाल ही में कुछ राज्यों में बैंक के विरोध के बाद भी राज्य सरकारों द्वारा किसानों के ऋणों को माफ करना। यह योजना देश के व्यापक हित में न होकर केवल राजनीतिक पार्टी व कुछ किसानों तक ही सिमित रह गया।

    लाभार्थियों की पहचान: 

    • इस प्रकार के योजनाओं के लाभार्थियों का चुनाव भूमि प्रमाणपत्रों व सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना के आँकड़ों के आधार पर किये जाते हैं। ये आँकड़े व रिकार्ड बहुत पुराने व अद्यतन न होने के कारण वर्तमान स्थिति से असंगत होते हैं।

    आगे की राह:

    • यद्यपि नीतियों का निर्माण मंत्रालय स्तर पर किया जाता है परंतु उनका क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा जिला स्तर व ग्राम स्तर पर किया जाता है। इसलिए स्थानीय स्तर के शासन को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
    • नागरिकों को नीति निर्माण व क्रियान्वयन में सहभागी बनाने की आवश्यकता है।
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