सोशल ऑडिट और सुशासन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
10 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्थाप्रश्न को हल करने का दृष्टिकोण
परिचय
स्वरुप या ढाँचा
पूरी प्रक्रिया ग्राम सभाओं और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से लोगों की सामाजिक भागीदारी पर आधारित है जिसमें लोग सरकारी योजनाओं का मूल्यांकन करते हैं और उन पर प्रतिक्रिया देते हैं। अतः प्रभावी सामाजिक जवाबदेही तीन प्रमुख स्तंभों- अभिव्यक्ति, प्रवर्तनीयता और जवाबदेही से बनी होती है। ये तीनों एक साथ मिलकर एक चक्र बनाते हैं।
सोशल ऑडिट के निम्नलिखित गुण सुशासन में मदद करते हैं:
इस प्रकार सामाजिक ऑडिट एक उर्ध्वगामी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है जहाँ नागरिक परिवर्तन के सबसे महत्त्वपूर्ण कारक हैं।
सुशासन में सहभागी दृष्टिकोण के महत्त्व को देखते हुए हाल ही में कई पहलें शुरू की गईं हैं, जैसे-
मेघालय सोशल ऑडिट कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
कई सरकारी पहलों में भी सोशल ऑडिट को अनिवार्य किया गया है जैसे-
1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
2. मनरेगा
3. एक समर्पित पोर्टल के साथ भारत भर में पंचायती राज संस्थानों में ई-शासन को मज़बूत बनाने हेतु ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोशल ऑडिट हेतु मज़बूत बुनियादी समर्थन प्रदान करने का आदेश दिया है और राज्य द्वारा संचालित सोशल ऑडिट संस्थानों में कैग द्वारा दिये गए दिशा-निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान किया है।
निष्कर्ष
सूचना का अधिकार (RTI) से संबद्ध सामाजिक ऑडिट के ज़रिये शासन में आवश्यक पारदर्शिता और जवाबदेहिता सुनिश्चित होगी। सामाजिक ऑडिट को सफल बनाने के लिये स्थानीय निकायों और नागरिक समाज समूहों को कानूनी समर्थन प्रदान करने एवं सशक्त बनाने के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति समय की आवश्यकता है।