लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 07 Jul 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    साम्राज्यवाद के मुख्य साधन के रूप में उपनिवेशवाद के स्थान पर हमारे पास आज नव-उपनिवेशवाद है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद को परिभाषित

    • नव-उपनिवेशवाद के वर्तमान स्वरूप को लिखिये।

    • निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    साम्राज्यवाद एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक समृद्ध व शक्तिशाली राष्ट्र दूसरे देशों को नियंत्रित करता है या दूसरे देशों पर नियंत्रण की इच्छा रखता है।

    उपनिवेशवाद का अभिप्राय बाहरी राजनीतिक शक्ति द्वारा किसी देश पर प्रभुत्व स्थापित करना है।

    प्रमुख बिंदु:

    नव-उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद के उपकरण के रूप में:

    • निवल आयातक: विकासशील व पिछड़े देश अपने कच्चे माल का निर्यात विकसित देशों कोे करते हैं जिसे विकसित देश अपने उद्योगों व तकनीक द्वारा प्रसंस्कृत व मूल्यवर्द्धित कर पुन: तैयार सामान को विकासशील देशों को निर्यात करते हैं। इससे व्यापार असंतुलन की स्थित उत्पन्न होती है तथा धन का संचयन विकसित देशों तक सीमित रहता है। इस प्रकार विकासशील देश निवल आयातक बने रहते है।
    • आश्रित/निर्भर आर्थिक संरचनाएँ: ये विकासशील/गैर-विकसित, गैर-औद्योगिक राष्ट्र साम्राज्यवाद की समाप्ति के पश्चात् भी कच्चे माल के निर्यातक बने हुए हैं। ये राष्ट्र ‘निर्भर आर्थिक संरचना’ वाले राष्ट्रों की श्रेणी में आते हैं और अपनी आर्थिक स्वायत्तता व संरचना को परिवर्तित करने में अक्षम होते हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान: वर्ष 1994 में स्थापित विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने विकासशील देशों के लिये पहले से सीमित व्यापार नीतियों व अवसरों को और भी संकीर्ण बना दिया है। विश्व बैंक व आई.एम.एफ(IMF) जैसी संस्थाओं में विकसित देशों का वर्चस्व है। ये संस्थाएँ पूर्व उपनिवेशिक देशों की घरेलू आर्थिक नीतियों को उनके राजकोषीय संकट से उबारने में सहायता करती हैं।
    • अप्रचलित तकनीक: जहाँ विकासशील देशों को पुरानी व अप्रचलित तकनीक का स्थानांतरण कर अपने राजस्व में वृद्धि करते हैं वहीं, विकासशील देश तकनीक हेतु विकसित देशों पर निर्भर रहते हैं।
    • विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विकासशील देशों में निवेश कर उस देश की स्थानीय कंपनियों को प्रतिस्पर्द्धा से बाहर कर अपना एकल बाज़ार स्थापित करती हैं।
    • वैश्विक शक्ति संतुलन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) जैसी संस्थाओं में केवल 5 विकसित देशों को स्थायी सदस्यता व वीटो पावर प्राप्त है। ये देश अपनी वीटो पावर द्वारा विकासशील देशों को नियंत्रित करते हैं।

    निष्कर्ष:

    इस प्रकार नव-उपनिवेशवाद के काल में सभी देश आदर्श रूप में तो स्वतंत्र व संप्रभु हैं परंतु उनके आर्थिक तंत्र व राजनीतिक नीतियों को विकसित देशों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2