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  • 05 Jul 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    भारतीय इतिहास में मंदिर नगर किस प्रकार से शहरीकरण के एक महत्वपूर्ण प्रतिरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं? उदाहरणों के साथ व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रमुख उदाहरणों के साथ भारत के मंदिर नगरों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

    • मुख्य धार्मिक स्थलों के निकट विकसित शहरों के आर्थिक, राजनीतिक प्रतिरूप का परीक्षण कीजिये।

    • इन शहरी केंद्रों के महत्त्व को वर्तमान परिप्रेक्ष्य से संबद्ध कीजिये।

    परिचय:

    • हड़प्पा सभ्यता से ही भारत में नगरीकरण का अस्तित्व रहा है। कालांतर में नगरों का विकास मुख्यत: मंदिर नगर, प्रशासनिक केंद्र तथा बंदरगाह या वाणिज्यिक नगरों के रूप में हुआ।
    • मंदिर नगरों का विकास मुख्य रूप से राजकीय संरक्षण भूमि अनुदान व दान आदि के द्वारा हुआ तथा ये आर्थिक गतिविधियों के मुख्य केंद्र होते थे।
    • तमिलनाडु के तंजावुर, कांचीपुरम व मदुराई तथा आंध्र प्रदेश का तिरूपत्ति मंदिर आदि इस प्रकार के नगरों के मुख्य उदाहरण हैं।

    प्रमुख बिंदु:

    मंदिर नगरों का शहरी केंद्र के रूप में विकास

    • अनुदान व दक्षिणा: प्राचीन भारत में विभिन्न राजवंशों ने मंदिरों की स्थापना हेतु भूमि अनुदान, दक्षिणा, पुजारियों के पालन-पोषण आदि के माध्यम से मंदिरों को संरक्षण प्रदान किया।
    • आर्थिक गतिविधियाँ व मंदिर प्रशासन: मंदिर प्रशासन द्वारा मंदिरों को प्राप्त दान को व्यापार व बैंकिंग में निवेश, नहरों व सिंचाई के साधनों का विकास आदि में प्रयोग किया जाता था जो स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को संचालित करती हैं।
    • मंदिरों के चाराें ओर नगर विकास: मंदिर आर्थिक, सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों का केंद्र होता था जिसके चारो ओर बस्तियों का विकास हुआ।
    • धार्मिक केंद्र: मंदिर धार्मिक गतिविधियों का केंद्र होते थे जिनके निकट पूजा सामग्री की बिक्री, पुजारियों के गृह व श्रद्धालुओं के लिये धर्मशाला अािद के निर्माण से नगरों के विकास हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं।
    • उत्सव का आयोजन: विभिन्न शासकों द्वारा मंदिरों में उत्सव का आयोजन किया जाता था। इन उत्सवों में रंगमंच, नृत्य व गायन आदि का आयोजन किया जाता था। इन उत्सवों में भाग लेने वाले कलाकार स्थायी रूप से इन नगरों में निवास करने लगे जिससे नगरों का विस्तार हुआ। कुचिपुड़ी व कथकली का विकास मुख्यत: मंदिरों में ही हुआ है।
    • अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, वृंदावन, मथुरा, बौद्ध गया, सारनाथ, वैशाली आदि मंदिर नगरों के प्रमुख उदाहरण हैं।

    निष्कर्ष:

    • प्राचीन भारत के मंदिर नगर, वर्तमान समय में पर्यटन केंद्र, हेरिटेज के संरक्षण केंद्र के रूप में वास्तु, कर्मकांड, लोक कला व सामाजिक एकीकरण के केंद्र बने हुए हैं।
    • भारत सरकार ने स्वदेश व प्रसाद योजनाएँ शुरू की हैं जिसका उद्देश्य इन धार्मिक केंद्रों का संरक्षण व पर्यटन व रोज़गार को बढ़ावा देना है।
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