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स्वतंत्रता के बाद भारत का एकीकरण और संघीकरण एक लंबे समय तक जारी रहने वाली प्रक्रिया साबित हुई जो चुनौतियों से घिरी थी। परीक्षण कीजिये । (250 शब्द)

04 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश के समक्ष एकीकरण और संघवाद से संबंधित चुनौतियों को लिखिये।

• इन चुनौतियों के समाधान हेतु किये गए उपायों को लिखिये।

• वर्तमान समय में इनके प्रभावों का वर्णन कीजिये।

• देश के एकीकरण व संघीकरण को बल प्रदान करने वाले उपायों के साथ निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भाषा व संप्रदाय जैसी विविधताओं से परिपूर्ण देश के समक्ष देशी रियासतों के शांतिपूर्ण विलय, आंतरिक और बाह्य सीमाओं का निर्धारण व राज्यों का पुर्नगठन आदि प्रमुख चुनैतियाँ थीं।
  • नवनिर्मित देश की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को समाहित करते हुए तत्कालीन सरकार ने भाषा के आधार पर राज्यों का गठन व देशी रियासतों का गरिमापूर्वक विलय तथा अल्पसंख्यक व पिछड़े समूहों के लिये संवैधानिक उपबंध आदि कदम उठाए।

प्रमुख बिंदु

एकीकरण व संघवाद से संबंधित चुनौतियाँ-

  • विभिन्न धर्मों व जातियों को समाहित करने के साथ ही उनके अधिकारों व सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित करना।
  • राज्यों के पुनर्गठन के लिये भाषायी व सांस्कृतिक समानता निर्धारित करते हुए देश की एकता व विविधता की रक्षा करना।
  • उत्तर-पूर्वी राज्यों में जनजातियों की सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण तथा उनकी सामाजिक-आर्थिक उन्नति सुनिश्चित करना।
  • लोकतांत्रिक गतिविधियों को संविधान के अनुसार बढ़ावा देना और सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित करने वाली विधियों का निर्माण।
  • धार्मिक आधार पर बंँटवारे के बाद देश में धार्मिक सौहार्र्द की प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • बँंटवारे के पश्चात् आए शरणार्थियों की सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए उन्हें रोज़गार के साधन उपलब्ध कराना।
  • भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् देशी रियासतों को भी स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इन रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय की स्वतंत्रता थी। इस स्थिति में देश की एकता व अखंडता को बनाए रखने के लिये 565 रियासतों का भारत में विलय एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।

सरकार द्वारा किये गए उपाय

  • संविधान में समानता, संप्रभुता, न्याय व धर्मनिरपेक्षता के समावेश से सभी वर्गों व समुदायों के हितों को संरक्षित किया गया।
  • अनुच्छेद-29 व 30 द्वारा अल्पसंख्यकों के भाषायी व सांस्कृतिक अधिकारों को संरक्षित किया गया है।
  • राज्य पुर्नगर्ठन अधिनियम, 1956 के द्वारा भाषायी व सांस्कृतिक समानता के आधार पर राज्यों का पुर्नगठन किया गया जिसमें लोगों की क्षेत्रीय आंकाक्षाओं का ध्यान रखा गया।
  • संविधान की अनुसूची-VIII में राज्य सूची, समवर्ती सूची व केंद्रीय सूची के बीच विषयों के बँटवारे से सहकारी संघवाद को प्रोत्साहन मिला।
  • वर्ष 1966 मेें गुजरात राज्य के गठन के बाद अनेक राज्यों का गठन प्रशासनिक सुविधा व जन-आंकाक्षाओं के आधार पर किया गया।
  • पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा देश को आर्थिक विकास की ओर अग्रसर किया गया।

वर्तमान समय में इन उपायों के प्रभाव:

  • राज्यों के उचित एकीकरण से सहकारी संघवाद व प्रतिस्पर्द्धी संघवाद भारतीय संघ की विशेषता के रूप में परिलक्षित होते हैं।
  • संविधान द्वारा प्रदत सभी वर्गों के मूल अधिकारों के संरक्षण।

निष्कर्ष:

उपरोक्त समस्याओं के समाधान में जिस प्रकार देश के नेतृत्व व नागरिकों ने सूझबूझ का परिचय दिया उससे वर्तमान समाज में उपस्थित समस्याओं का रचनात्मक हल निकाला जा सकता है।