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महात्मा गांधी की भूमिका को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की परिस्थितियों का समर्थन प्राप्त था। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

03 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गांधी की भूमिका का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

• स्वतंत्रता संघर्ष में गांधी जी की भूमिका को निर्धारित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।

• स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान गांधी जी की भूमिका के महत्त्व का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

• निष्कर्ष दीजिये।

परिचय

वर्ष 1915 में भारत आगमन के साथ ही महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन को नेतृत्त्व प्रदान कर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 19वीं सदी के अंत व 20वीं सदी के प्रारंभ में स्वतंत्रता संघर्ष में अनेक विचारधाराओं व व्यक्तियों का योगदान रहा है।

प्रमुख बिंदु

भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में गांधी जी के समक्ष निम्नलिखित परिस्थितियाँ उपस्थित थीं-

  • 19वीं सदी के अंत में देश में राष्ट्रवाद की भावना प्रबल हुई। इसका मुख्य कारण शिक्षा का प्रसार, रेल यातायात में वृद्धि, समाचार-पत्रों व प्रेस का प्रसार, पश्चिमी देशों की संस्कृति व साहित्य का ज्ञान, आर्थिक परिस्थितियाँ तथा प्रारंभिक उदारवादी नेताओं द्वारा राजनीतिक जागरूकता के लिये किये गए प्रयासों ने राष्ट्रवाद के उदय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के उदारवादी व उग्रवादी नेताओं ने जनसामान्य में राजनीतिक चेतना का प्रसार किया, इसके साथ ही कॉन्ग्रेस के संगठनात्मक ढाँचे को अखिल भारतीय स्तर पर मज़बूत किया।
  • ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध संघर्ष के रूप में बंग-भंग आंदोलन में प्रयोग किये गए स्वदेशी व बहिष्कार जैसी गतिविधियों को गांधी जी ने ‘सविनय अवज्ञा’ व ‘असहयोग आंदोलन’ में प्रयोग किया।
  • पूर्व के आंदोलनों में प्राप्त जन-सहयोग को गांधी जी ने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध संघर्ष में प्रयोग किया। इन आंदोलनों में छात्र, किसान व महिलाओं ने सक्रिय योगदान दिया।
  • ब्रिटिश सरकार की दमनकारी व शोषणकारी नीतियों से उत्पन्न जन आक्रोश नेे गांधी जी को अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष के लिये प्रेरित किया।
  • ब्रिटिश सरकार के रौलेट एक्ट व जलियाँवालाबाग हत्याकांड के कारण गांधी जी को आंदोलनों के लिये जनसहयोग प्राप्त हुआ।
  • ब्रिटिश शासन में किसानों पर अत्यधिक लगान आरोपित व किसान विरोधी नीतियों के कारण अनेक किसान आंदोलन हुए, ये आंदोलन भी स्वतंत्रता संघर्ष के साथ-साथ हुए।
  • सोशलिस्ट व कम्युनिस्ट पार्टियों के उदय के चलते आमजन में आर्थिक व राजनीतिक समस्याओं के प्रति जनजागरूकता उत्पन्न हुई इस जनजागरूकता का गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भलीभाँति प्रयोग किया।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध ने विश्व में उपनिवेशक देशों की कमज़ोरियों को उज़ागर किया।
  • आज़ाद हिंद फौज का गठन, नाविक विद्रोह आदि ने जनसामान्य में स्वतंत्रता की आंकाक्षा को प्रबल किया।
  • ब्रिटेन में आम, चुनाव होने के कारण वहाँ की कंज़रवेटिव पार्टी की सरकार चुनाव से पहले भारत जैसे बड़े उपनिवेश का कोई संवैधानिक हल निकालना चाहती थी।

निष्कर्ष:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक ऐसी परिस्थितियाँ रहीं जिन्होंने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आंदोलन में सकारात्मक भूमिका निभाई। परंतु इसके साथ ही गांधी जी के सत्य, अंहिंसा व असहयोग जैसे प्रयोगों के साथ ही उनकेे कुशल नेतृत्व ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।