उन कारणों का परीक्षण कीजिये, जिनके कारण भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की नींव पड़ी और साथ ही इसके प्रमुख उद्देश्यों पर भी प्रकाश डालें।
03 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• तथ्यों के साथ कॉन्ग्रेस के गठन का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
• कॉन्ग्रेस के गठन के संबंध में विभिन्न दृष्टिकोण दीजिये।
• कॉन्ग्रेस के गठन के उद्देश्यों को लिखिये।
• निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- 19वीं सदी के छठे दशक से ही राष्ट्रवादी नेता एक अखिल भारतीय संगठन के निर्माण हेतु प्रयासरत थे।
- कॉन्ग्रेस के गठन में सेवानिवृत्त अंग्रेज़ अधिकारी ए.ओ. ह्यूम ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- ‘‘अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस ’’ का गठन वर्ष 1885 में मुंबई में किया गया। कॉन्ग्रेस के गठन में सुरेंद्र नाथ बनर्जी तथा आनंद मोहन बोस ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख बिंदु:
- अनेक इतिहासकारों के अनुसार कॉन्ग्रेस की स्थापना के पीछे ‘सेफ्टी वाल्व’ की अवधारणा थी। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय जनमानस में मौजूद असंतोष को प्रकट करने के लिये एक मंच उपलब्ध कराने हेतु इस राजनीतिक पार्टी का गठन किया जाना ही मुख्य उद्देश्य था। गरमदल के नेता ‘लाला लाजपत राय’ का भी यही मत था।
- आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार कॉन्ग्रेस कीे स्थापना भारतीयों में आई राजनीतिक चेतना का परिणाम थी। भारतीय किसी ऐसी राष्ट्रीय संस्था की स्थापना करना चाहते थे जिसके माध्यम से वे भारतीयों की राजनीतिक एवं आर्थिक मांगों को सरकार के सम्मुख रख सकें।
कॉन्ग्रेस के गठन का उद्देश्य
- लोकतांत्रिक राष्ट्रवादी आंदोलन चलाना
- भारतीयों में राजनीतिक शिक्षा का प्रसार करना तथा उन्हें राजनीतिक लक्ष्यों से परिचित कराना।
- देश के विभिन्न भागों के स्वतंत्रता आंदोलन हेतु कार्यकर्त्ताओं व नेताओं के मध्य संपर्क स्थापित करना तथा उनके बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना।
- उपनिवेशवादी विरोधी विचारधारा को प्रोत्साहन एवं समर्थन प्रदान करना।
- जाति, धर्म एवं प्रांतीयता की भावना से उपर उठ कर लोगों में राष्ट्रवादी भावना को जाग्रत करना।
निष्कर्ष:
- इस प्रकार भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के गठन का प्रारंभिक उद्देश्य ब्रिटिश शासन का आलोचक न होकर भारतीयों में राजनीतिक चेतना का प्रसार करना था।