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  • 02 Jul 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    कबीर की प्रतीक-योजना के स्वरूप पर प्रकाश डालिये।

    प्रतीकात्मकता कविता की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। भक्तिकालीन संतकाव्यधारा के प्रतिनिधि कवि कबीर ने भी अपने काव्य में प्रतीकों का प्रयोग किया है। विशेषकर, आध्यात्मिक प्रेम वर्णन में, सांसारिकता की क्षणभंगुरता के निरूपण में तथा माया-वर्णन में उन्होंने प्रतीकों का काफी प्रयोग किया है। ये प्रतीक कबीर की गहरी जीवनानुभूति, चिंतन-मनन तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति-क्षमता के प्रमाण हैं।

    प्रेम-वर्णन में कबीर ने जिन प्रतीकों का प्रयोग किया है, वे व्यापक जीवन क्षेत्र से लिये गए हैं। साथ ही ये प्रतीक अत्यंत माधुर्यपूर्ण एवं अर्थगर्भी भी हैं। उदाहरणस्वरूप निम्नांकित पद द्रष्टव्य है, जिसमें कबीर ने दाम्पत्य प्रेम के प्रतीक के माध्यम से जीवात्मा की कातरता और पुकार को व्यंजित किया है-

    ‘‘बालम आउ हमारे गेह रे। / तुम्ह बिन दुखिया देह रे।’’

    कबीर ने वेदना की विवृति के लिये क्रौंच, चक्रवाक, पपीहा आदि काव्य-परंपरा में अत्यंत प्रसिद्ध रहे प्रतीकों का प्रयोग कियाहै।

    प्रतीक-विधान के धरातल पर कबीर की काव्यात्मकता का उत्कर्ष ऐसे स्थलों पर दिखाई देता है जहाँ उन्होंने भावों की संश्लिष्ट अभिव्यक्ति के लिये एक साथ कई प्रतीकों का प्रयोग किया है। उदाहरणस्वरूप-

    ‘‘रैनि गई मत दिनु भी जाइ। / भंवर उड़े बग बैठे आई।।

    थरहर कंपै बाला जीउ, नां जांनौ क्या करिहै पीउ। / कांचे करवै रहे न पानी, हंस उड़ा काया कुम्हिलानी।।’’

    यहाँ ‘रैनि’ युवावस्था का, ‘दिन’ अनुभव की प्रौढ़ावस्था का, ‘भँवर’ काले केशों का, ‘बग’ श्वेत केशों का और ‘हंस’ जीवात्मा का प्रतीक है। ‘थरहर कंपै बाला जीउ’ मुग्धा नववधू का व्यंजक है।

    कबीर ने आध्यात्मिक प्रेम में विरह की अतिशयता की व्यंजना के लिये मुख्य रूप से तीन प्रतीक चुने हैं- सती, शूरत्व और रसायन। इनके अतिरिक्त उनके काव्य में काल या मृत्यु संबंधी प्रतीकों, दैनिक जीवन के प्रतीकों, पारिवारिक- सामाजिक संबंधों के प्रतीकों, संख्यावाची प्रतीकों आदि का प्रयोग हुआ है। अमानवीय संसार से लिये गए प्रतीकों में पशु-पक्षियों को लिया गया है। उदाहरणार्थ काग तृष्णा का, खग आत्मा का, कबूतर मोह का प्रतीक है।

    समग्रत: हम कह सकते हैं कि कबीर का प्रतीक-विधान लोकजीवन से निर्मित हुआ है। यह जीवन से उनके गहरे जुड़ाव तथा उनकी काव्यात्मक क्षमता, दोनों का परिचायक है।

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