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’विकास’ के द्वारा भारत में जनजातियों के प्रति दृष्टिकोण को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है ? वर्णन कीजिये। साथ ही यह राज्य की नीतियों को कैसे दिशा प्रदान करता है? चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

02 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• विकास की संकल्पना का परिचय दीजिये।

• भारत की जनजातियों पर इसके प्रभावों को लिखिये।

• भारत में जनजातियों की रक्षा के लिये उपलब्ध संवैधानिक प्रावधान व सरकारी पहलें।

• विकास योजनाओं व जनजातीय अधिकारों के मध्य संघर्ष के बिंदु

• आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

  • सामान्यत: विकास से तात्पर्य आर्थिक विकास, परियोजनाओं के निर्माण, जैसे- औद्योगीकरण व नगरीकरण की स्थापना को माना जाता है। इसमें मुख्यत: अवसंरचनात्मक निर्माण जैसे- सड़कें, बांध, उद्योग आदि शामिल हैं।
  • जनजातीय क्षेत्रों में बड़ी परियोजनाओं की स्थापना आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी, विकास परियोजनाओं के निर्माण में अनावश्यक विवाद उत्पन्न करती है।

भारतीय जनजातियों पर विकास परियोजनाओं का प्रभाव

  • संपत्ति का निजीकरण व एकल स्वामित्व के नियम, आदिवासियों के समुदाय आधारित सामूहिक स्वामित्व के विरुद्ध होने से सामंजस्य स्थापित करने में कठिनाई उत्पन्न करते है।
  • आदिवासी सघन क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं की स्थापना होने से बाहरी प्रवासन में वृद्धि होती है इसके कारण जनांकिकीय परिवर्तन से आदिवासियों की संस्कृति व परंपराओं के विलुप्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • विकास परियोजनाओं की स्थापना हेतु आदिवासियों का बलपूर्वक विस्थापन उनकी आजीविका पर संकट उत्पन्न कर देता है।
  • आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने वाले कानूनों का कॉरपोरेट के हित में परिवर्तित किया जाना उन्हें विधि के संरक्षण से वंचित करता है।
  • आदिवासी समूहों के विरुद्ध हिंसा व प्रताड़ना की घटनाओं में वृद्धि।
  • विस्थापन की दशा में आजीविका का संकट, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव, कुपोषण, गरीबी, मानव तस्करी व बलात् श्रम हेतु सुभेद्यता आदि अन्य गंभीर मुद्दे हैं।

आदिवासियों को उपलब्ध संवैधानिक रक्षोपाय

  • 5वीं व 6वीं अनुसूची: इनमें अनुसूचित व जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन व विधान से संबंधित प्रावधान हैं।

अनुच्छेद 15: शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान।

अनुच्छेद 16: सेवाओं और नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान।

अनुच्छेद 23: मानव तस्करी व बलात् श्रम व बंधुआ मज़दूरी से संरक्षण।

अनुच्छेद 24: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का कारखानों में रोज़गार से निषेध।

अनुच्छेद 21: 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान।

  • 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा आदिवासियों के लिये संसद व विधानसभाओं में स्थानों का आरक्षण।
  • पेसा अधिनियम, 1996 द्वारा पंचायतों में आदिवासी अधिकारों का निर्धारण किया गया है।
  • वन अधिकार अधिनियम, 2006 द्वारा वन भूमि पर आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित किया गया है।

विकास योजनाओं व आदिवासियों के मध्य संघर्ष के बिंदु:

  • पर्यावरणीय मुद्दे
  • आदिवासियों के पुनर्स्थापन से जुड़े मुद्दे।
  • आदिवासी संस्कृति व परंपराओं की विलुप्ति का संकट।
  • आदिवासियों के वैधानिक अधिकारों को लेकर प्रशासनिक व कॉरपोरेट के मध्य साँठगाँठ।

आगे की राह:

  • भारत सरकार द्वारा आदिवासियों के उत्थान व उनके संरक्षण हेतु अनेक कार्यव्रम (एकलव्य विद्यालय योजना, वन बंधु कल्याण योजना, वनोपज खरीदारी के लिये ट्राईफेड आदि) चलाए जा रहे हैं परंतु आदिवासियों को निर्णय-प्रव्रिया में शामिल करने की आवश्यकता है।
  • विकास परियोजनाओं को अधिक समावेशी व संधारणीय बनाने की आवश्यकता है।