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परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान (Operational Oceanography) से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे देश के लिये इसके लाभों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

29 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान को परिभाषित कीजिये और इसके अनुप्रयोग लिखिये।

• भारत के लिये इसके लाभों पर चर्चा कीजिये।

• निष्कर्ष।

परिचय:

परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान सागरों व महासागरों के जल स्तर, धाराओं, लवणता, घनत्व आदि भौतिक लक्षणों के पूर्वानुमान व निगरारनी की व्यवस्था है। यह नियमित, सुनियोजित व दीर्घकालिक प्रक्रिया है।

परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान के अनुप्रयोग:

  • महासागरों में जीवन को सुरक्षित करना, ब्लू इकॉनमी को प्रोत्साहन देना, सामुद्रिक वातावरण को संरक्षित करना।
  • समुद्री तूफानों सुनामी और चक्रवातों की पूर्व घोषणा।
  • समुद्री प्रदूषण व शैवाल प्रस्फुटन की निगरानी।
  • महासागरीय पर्यावरण, समुद्री मार्गों का निर्धारण व निगरानी, समुद्री धाराओं की स्थिति, मत्स्यन क्षेत्रों का पूर्वनुमान, तेल रिसाव की स्थिति में निगरानी व बचाव।
  • समुद्री जैविक व अजैविक संसाधनों, ऊर्जा संसाधनों का दोहन व संरक्षण द्वारा आर्थिक लाभ की प्राप्ति।

भारत के संदर्भ में परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान के लाभ:

  • मत्स्यन, बंदरगाहों की सुरक्षा व परिचालन, आपदा प्रबंधन, नेवी व कोस्ट गार्ड को समुद्री सुरक्षा में सहायता प्रदान करना, पर्यावरण संरक्षण में सहायता, तटीय क्षेत्र की जनसंख्या के रोजगार में वृद्धि और आपदा के प्रति सुभेद्यता से संरक्षण आदि क्षेत्रों में परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान सहायक होगा।
  • भारत के अधिकांश कच्चा तेल समुद्री मार्गों से आता है तथा देश के अधिकांश तेलशोधन व उत्पादन सयंत्र तटीय व अपतटीय क्षेत्रों में स्थित हैं। इसलिये परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान द्वारा भारत के ऊर्जा हितों को सुरक्षित किया जा सकेगा।
  • इसका प्रभावी क्रियान्वयन हिंद महासागर की भू-राजनीति में भारत की रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा।
  • तटीय राज्यों की परियोजना निर्माण व उनके क्रियान्वयन में विश्वसनीय आँकड़े उपलब्ध कराना।
  • यह भारत के सतत् विकास लक्ष्य-14 की प्राप्ति में सहायता होगा जो वैज्ञानिक अनुसंधान के संवर्द्धन व छोटे द्वीपीय देशों और अल्पविकसित देशों को सहयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुकूल है।

निष्कर्ष

यह समुद्री व तटीय क्षेत्रों की स्थिरता में वृद्धि करेगा तथा उनसे जुड़े मुद्दों के समाधान खोजने के लिये तकनीकी और प्रबंधन क्षमता में वृद्धि करेगा।

भारत ने परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है।