मेघबीजन (cloud seeding), इसके अनुप्रयोगों, चुनौतियों और चिंताओं का वर्णन कीजिये। (150 शब्द)
29 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• मेघबीजन का परिचय दीजिये।
• अनुप्रयोग, चुनौतियाँ और चिंताओं को लिखिये।
• निष्कर्ष
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परिचय:
- मेघबीजन, कृत्रिम वर्षा की एक प्रक्रिया है।
- इस प्रक्रिया में शुष्क बर्फ (dry Ice) या सिल्वर आयोडाइड के एअरोसॉल का मेघों के ऊपरी सतह में संघनन को प्रेरित करने हेतु छिड़काव किया जाता है।
मेघबीजन की तीन विधियाँ हैं-
- आर्द्रताग्राही मेघबीजन: इसमें मेघों में नमक का छिड़काव किया जाता है।
- स्थैतिक मेघबीजन: इस विधि में सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव किया जाता है।
- गत्यात्मक मेघबीजन: इस विधि में बादलों की आर्द्रता में वृद्धि की जाती है।
प्रमुख बिंदु
अनुप्रयोग
- सूखा प्रवण कृषि क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में कर्नाटक सरकार ने ‘वर्षाधारी परियोजना’ शुरू की है।
- जल प्रदूषण को नियंत्रित करने में: कृत्रिम वर्षा द्वारा जलधाराओं के न्यूनतम प्रवाह को सुनिश्चित किया जाता है जो जलनिकायों के प्रदूषित पदार्थों को हटाता है।
- वायु प्रदूषण का नियंत्रण करने में: कृत्रिम वर्षा के द्वारा वायु में उपस्थित प्रदूषणकारी तत्त्वों जैसे- पार्टिकुलेट मैटर (PM10, PM2.5), आदि को वर्षा की बूंदों के साथ ज़मीन पर लाने हेतु प्रयोग किया जाता है। हाल में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली में भीषण वायु प्रदूषण की स्थिति को समाप्त करने के लिये कृत्रिम वर्षा का विकल्प सरकार के समक्ष रखा गया।
- कृत्रिम वर्षा का प्रयोग घने कोहरे को हटाने ओलावृष्टि को रोकने के लिये किया जाता है।
- कृत्रिम वर्षा विधि सूखा क्षेत्र में वर्षा कराने हेतु प्रयोग की जाती है।
कृत्रिम वर्षा की चुनौतियाँ
- कृत्रिम वर्षा के लिये प्रयुक्त केमिकल जीव-जंतुओं के लिये हानिकारक हो सकता है।
- कृत्रिम वर्षा वैश्विक व स्थानीय मौसम में परिवर्तन ला सकती है। यह आर्द्रता के वितरण को प्रभावित कर सकती है जिस कारण वर्षा का वितरण प्रभावित हो सकता है।
- कृत्रिम वर्षा में शुष्क बर्फ (कार्बन डाइटआक्साइड) के प्रयोग के कारण वायुमंडल में C02 की मात्रा में वृद्धि हो सकती है।
- भविष्य में कृत्रिम वर्षा के अति उपयोग/दुरुपयोग के कारण ग्लोबल वार्मिंग व अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
निष्कर्ष
कृत्रिम वर्षा विधि अभी अपने प्रारंभिक चरण में है जिसके प्रभावों (वायुमंडल, जलमंडल व स्थलमंडल पर) का अनुसंधान होना अभी शेष है परंतु तात्कालिक रूप से कृत्रिम वर्षा की कृषि क्षेत्र में सूखे का समाधान व प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।