मौर्य साम्राज्य के विभिन्न वास्तुशिल्प तत्त्वों और उनके महत्त्व का परीक्षण कीजिये । (250 शब्द)
28 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | संस्कृति
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• मौर्य साम्राज्य की वास्तुकला का परिचय दीजिये।
• मौर्य वास्तुशिल्प के मुख्य तत्त्वों और उनके महत्त्व को लिखिये।
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परिचय:
- मौर्य साम्राज्य, भारतीय उपमहाद्वीप में पहला शक्तिशाली साम्राज्य था। साम्राज्य की राजधानी ‘पाटलीपुत्र’ में महलों का निर्माण उसकी भव्यता को प्रतिबिंबित करना था।
- चंद्रगुप्त मौर्य का महल ईरान के अकमेनियन महलों से प्रेरित था।
- मौर्य काल में महल, स्तंभ, स्तूप व गुफाएँ आदि का निर्माण किया गया।
प्रमुख बिंदु
- स्तंभ: अशोक के शासनकाल के दौरान महत्त्वपूर्ण स्तंभ व शिलालेख हैं इन स्तंभों व शिलालेखों का निर्माण जीत के उपलक्ष्य में किया जाता था।
- ये स्तंभ सामान्यत: बलुआ पत्थर से बने होते थे।
- इसके चार भाग होते थे जिसमें सबसे लंबा खंड आधार का निर्माण करता था और यह एकाश्म प्रस्तर का बना होता था।
- स्तंभ के सबसे ऊपरी भाग को शीर्ष या ललाट कहा जाता था।
- ललाट के ऊपर शीर्ष-फलक होता था जिस पर पशु की मूर्ति होती थी।
- चंपारण में लौरिया नदनगढ़ स्तंभ मौर्यकालीन है।
स्तूप
- स्तूप वैदिक काल से भारत में प्रचलित शवाधान टीले थे। इसमें मृतकों के अवशेष और राख को रखा जाता था। अशोक के शासनकाल में लगभग 84000 स्तूप बनवाए गए।
- स्तूप का कोट, कच्ची ईंटो से बना होता था, जबकि बाहरी सतह का निर्माण पक्के ईंटाें से किया जाता था।
- मेधी और तोरणों को लकड़ी की मूर्तियों द्वारा सजाया जाता था।
- प्रत्येक स्तूप में प्रदक्षिणा-पथ होता था।
- मौर्यों ने सांची स्तूप (मध्य प्रदेश) व पिपरहवा (प्राचीनतम) स्तूप का निर्माण करवाया।
गुफा स्थापत्य कला
- मौर्य साम्राज्य में चट्टानों को काटकर बनाई गई गुहा स्थापत्य कला का उद्भव हुआ।
- इनका उपयोग जैन और बौद्ध भिक्षु सामान्यत: बास स्थल (बिहार) के रूप में करते थे।
- इन गुफाओं की विशेषता अत्यधिक पॉलिशदार भीतरी दीवारें व अलंकृत प्रवेश द्वार थे। बराबर की गुफाओं का निर्माण मौर्यों द्वारा ही करवाया गया।
मौर्य साम्राज्य का महल
- अशोक ने कुम्राहार में विशाल महल का निर्माण करवाया। यह एक तीन मंजिला लकड़ी का ढाँचा था।
- इस महल की दीवारों को नक्काशी से सजाया गया था।
- चन्द्रगुप्त का महल अकमेनियन महलों से प्रेरित था।
मौर्य काल में वास्तुकला का महत्त्व
- मौर्यें ने धार्मिक (शासकीय क्षेत्र में) संरचनाओं, जैसे-स्तूप, विहार व चैत्य आदि के निर्माण में रुचि ली जिससे बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार में सहायता मिली।
- अशोक के शिलालेखों से तत्कालीन समाज व शासन की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
- भारत का राजचिह्न अशोक सारनाथ स्थित सिंह स्तंभ से लिया गया है।
निष्कर्ष
- मौर्य वास्तुकला ने भारत की कला-संस्कृति के उद्भव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- मौर्य वास्तुकला प्राचीन भारत की कलात्मक समृद्धि का प्रतीक है।