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कोरियाई प्रायद्वीप की राजनैतिक स्वतंत्रता की प्रक्रिया और समकालीन राजनीति में इसके महत्व का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

27 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• कोरियाई प्रायद्वीप के राजनैतिक स्वतंत्रता के बारे में संक्षिप्त विवरण दीजिये।

• महाशक्तियों की भूमिका लिखिये।

• समकालीन भू-राजनीति में महत्त्व लिखिये।

• संक्षिप्त निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

कोरियाई प्रायद्वीप का विघटन मुख्य रूप से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद शीतयुद्ध के प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों (अमेरिका और सोवियत संघ) के बीच पूर्वी एशियाई क्षेत्र में प्रभाव बनाए रखने हेतु एक संघर्ष का परिणाम था। हालाँकि शीतयुद्ध समाप्त हो गया था, लेकिन पूर्वी एशिया के साथ-साथ प्रशांत क्षेत्र के भू-रणनीतिक परिदृश्य पर अपना शीतयुद्ध के अवशेषों का प्रभाव कोरियाई प्रायद्वीप पर परिलक्षित होता रहा।

संरचना

  • दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने कोरिया पर अधिकार कर लिया लेकिन अमेरिका द्वारा जापान की हार के बाद, अमेरिका ने जापान को अपना मजबूत सहयोगी बनाया।
  • इसी संदर्भ में, जापान को कम्युनिस्ट प्रभाव से बचाने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अमेरिका ने कोरिया को अस्थायी रूप से दो भागों में विभाजित कर दिया।
  • अमेरिकी सेना के दक्षिण कोरिया से वापस होते ही उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला कर दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया।
  • संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के साथ अमेरिकी सेना द्वारा दक्षिण कोरिया को मुक्त कराया गया।
  • वर्ष 1953 में संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने सुरक्षा संधि पर हस्ताक्षर किये।
  • इस प्रकार कोरियाई प्रायद्वीप का विघटन हुआ लेकिन अभी भी उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सरकारें अतीत में समर्थन करने वाली महाशक्तियों की विचारधाराओं के अनुरूप अलग-अलग वैचारिक प्रतिमानों को आगे बढ़ाती हैं।
  • इस द्वंद्ववाद के परिणामस्वरूप पूर्वी एशिया की सुरक्षा कमज़ोर बनी हुई है और वहाँ स्थित देश, विशेष रूप से जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के साथ अपने सैन्य गठबंधन को जारी रखे हुए हैं।
  • अमेरिका इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में गहन रुचि लेता है।
  • अमेरिका के भारी आर्थिक प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों के साथ दुनिया को धमकी दे रहा है, लेकिन अमेरिका तब तक कुछ भी स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं है जब तक कि उत्तर कोरिया पूरी तरह से परमाणु निशस्त्रीकरण पर सहमत नहीं हो जाता।
  • इस गतिरोध की स्थिति में चीन पूर्वी एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने और इस क्षेत्र में अमेरिकी प्रभुत्व के लिये चुनौती पैदा करने हेतु उत्तर के साथ मिलकर लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
  • चीन की पहले से ही पीला सागर और पूर्वी चीन सागर में मजबूत उपस्थिति है और अब वह उत्तर कोरिया के साथ सैन्य गठबंधन कर जापान सागर में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने जा रहा है, जिससे उस क्षेत्र में जापान-अमेरिका के लिये एक अग्रिम चुनौती पैदा हो सके ।
  • चीन उत्तर कोरिया के साथ सैन्य व आर्थिक संबंध मजबूत कर रहा है।

निष्कर्ष : इस प्रकार विघटन के पश्चात भी कोरियाई प्रायद्वीप विश्व की महाशक्तियों और उभरती महाशक्तियों के मध्य शक्ति प्रदर्शन का एक मंच बना हुआ है। भविष्य में उत्तर कोरिया के साथ इन महाशक्तियों का व्यवहार इस क्षेत्र की भू-सामरिक स्थिति को निर्धारित करेगा।