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वर्ष 1975 के राष्ट्रीय आपातकाल ने भारत के लोकतांत्रिक स्वरुप को कैसे प्रभावित किया? इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिये संवैधानिक सुरक्षा उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

27 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• राष्ट्रीय आपातकाल का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

• लोकतांत्रिक व्यवस्था पर इसके प्रभावों को बताइये।

• संवैधानिक सुरक्षा उपायों के बारे में लिखिये।

• निष्कर्ष।

परिचय:

25 जून, 1975 को अनुच्छेद-352 के अंतर्गत संपूर्ण देश में आपातकाल लागू किया गया। इसके लागू होने से केंद्र की कार्यपालक शक्तियाँ राज्यों की कार्यपालक शक्तियों तक विस्तारित हो गई तथा नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध आरोपित हो गए।

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय आपातकाल को राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट, बाह्य आक्रमण व आंतरिक गड़बड़ी की स्थिति में लागू किया जा सकता है, परंतु 1975 का आपातकाल राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित था और इसकी घोषणा आंतरिक उपद्रव के आधार पर की गई थी तथा इसमें सत्ता पर एकाधिकार स्थापित करने का उद्देश्य निहित था।
  • इस आपातकाल के दौरान तत्कालीन राजनीतिक विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया जिससे छोटी सी समयावधि के लिये भारतीय राजनीति में विपक्ष की भूमिका नगण्य हो गई। इस कारण लोकतंत्र में विपक्ष की व्यवस्था में ह्रास देखा गया।
  • इस आपातकाल में नागरिकों के मूल अधिकारों का व्यापक स्तर पर हनन हुआ और साथ ही प्रेस व मीडिया पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया गया। इस कारण लोकतंत्र की मूलभावना, नागरिक अधिकारों व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हुआ।

संवैधानिक संरक्षोपाय

  • जनता पार्टी की सरकार द्वारा वर्ष 1978 में 44वाँ संविधान संशोधन किया गया जिसमें आपातकाल के दुरुपयोग को रोकने के लिये निम्नलिखित प्रावधान किये गए
  • 44वाँ संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 74(1) में संशोधन किया गया जिसमें राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा करने के लिये मंत्रिमंडल के लिखित अनुमोदन को अनिवार्य किया गया है।
  • 44वें संविधान संशोधन द्वारा संसदीय अनुमोदन की समय सीमा को 2 माह से घटाकर 1 माह कर दिया गया।
  • 44वें संविधान संशोधन द्वारा ‘आंतरिक गड़बड़ी’ शब्द को ‘सशस्त्र विद्रोह’ से विस्थापित किया गया।
  • 44वें संविधान संशोधन द्वारा आपातकाल की उद्घोषणा के अनुमोदन के लिये प्रत्येक प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित होना अनिवार्य किया गया है।
  • 44वें संविधान संशोधन द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल को न्यायिक समीक्षा के अधीन किया गया, वहीं ‘मिनर्वा मिल्स मामले’ में उच्चतम न्यायालय ने भी यह व्यवस्था दी।
  • वहीं लोकसभा के 1/10 सदस्यों द्वारा स्पीकर को लिखित नोटिस देकर 14 दिन के अंदर उद्घोषणा को समाप्ति के लिये विशेष बैठक बुलाने का प्रावधान भी 44वें संविधान संशोधन द्वारा किया गया।

निष्कर्ष

इस आपातकाल के कारण देश में एक नवीन नेतृत्व का उद्भव हुआ, साथ ही आपातकाल की समाप्ति के बाद भारतीय जनता ने मतदान द्वारा सत्ता परिवर्तन का उदाहरण प्रस्तुत किया।