नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 25 Jun 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    भारत में सामाजिक सशक्तीकरण के लिये समाज के विभिन्न वर्गों की गरिमा को मजबूत करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • सामाजिक सशक्तीकरण का वर्णन कीजिये।

    • भारत में समाज के पिछड़े समूहों को चिह्नित कीजिये और विभिन्न वर्गों की गरिमा को सृदृढ़ करने वाले उपायों के बारे में बताएँ।

    • आगे की राह सुझाइये।

    परिचय: सामाजिक सशक्तीकरण समाज के सभी वर्गो, विशेष रूप से वंचित वर्गों को सुरक्षा, आत्मविश्वास व स्वायत्तता प्रदान करने आर्थिक व शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने की प्रक्रिया है।

    भारत में वंचित वर्गों में एस.सी./एस.टी./ओ.बी.सी. तथा धार्मिक व भाषायी अल्पसंख्यक और महिलाएँ शामिल हैं।

    संरचना:

    सामाजिक सशक्तीकरण निर्धारित लक्ष्य:

    वंचित वर्गों को उनके अधिकारों की स्वतंत्रता व उनके विशेष अधिकारों के सरंक्षण के साथ प्रगतिशील जीवन जीने के लिये उचित वातावरण का निर्माण किये जाने की आवश्यकता है।

    भेदभाव रहित व शोषण मुक्त वातावरण का निर्माण करना।

    सभी वर्गों को विकास का लाभ मिले, यह सुनिश्तिच करने के लिये समावेशी विकास करना।

    नीति निर्माण व नीति के क्रियान्वयन में वंचित वर्गो की भागीदारी सुनिश्चित करना।

    सामाजिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाले कारक-

    शिक्षा: शिक्षा सामाजिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने का मज़बूत माध्यम है, इस दिशा में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत सार्थक प्रयास किये गए हैं।

    आर्थिक सशक्तीकरण: आर्थिक सशक्तीकरण के माध्यम से सामाजिक सशक्तीकरण की प्रक्रिया को मज़बूत किया जा सकता है। इस दिशा में स्किल इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया जैसी सकारात्मक पहलें की गई हैं।

    सामाजिक न्याय: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 व एस.सी./एस.सी (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989, दो ऐसे मुख्य अधिनियम हैं जिनके माध्यम से सरकार द्वारा अस्पृश्यता, भेदभाव व प्रताड़ना आदि को रोकने के लिये पहल की गई है।

    जेंडर बजटिंग: इस अवधारणा को भारतीय बजट में वर्ष 2005-2006 में शामिल किया गया। इसका उद्देश्य लैंगिक प्रतिबद्धताओं को बजटीय प्रतिबद्धता में समाहित करना है तथा लैगिंक समानता के लिये वित्तीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना है।

    जनजातीय उपयोजना: जनजातीय उपयोजना आदिवासी समूहों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान की योजना है। वन बंधु कल्याण योजना भी इसी दिशा में प्रयासरत है।

    अल्पसंख्यक सामाजिक सशक्तीकरण: अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण के लिये प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम को अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने के लिये शुरू किया गया है। नई रोशनी योजना भी अल्पसंख्यक महिलाओं को सशक्त करने के लिये संचालित की जा रही है।

    निष्कर्ष:

    समाज के वंचित वर्ग शैक्षिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा होने के कारण अपने मुद्दों व समस्याओं को प्रभावी तरीके से नहीं उठा पाते हैं। इसलिये नीति निर्माण में शामिल कर इस वर्ग को सामाजिक रूप से सशक्त किया जा सकता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow