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क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारतीय समाज के अभिन्न अंग के रूप में हाल के दिनों में जाति व्यवस्था के स्वरूप और प्रतिनिधित्व में परिवर्तन आया है? व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)

25 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• जाति व्यवस्था के स्वरूप को संक्षिप्त रूप में लिखिये।

• जाति प्रतिनिधित्व के कुछ उदाहरण दीजिये।

परिचय: जाति व्यवस्था, समाज वंशावलियों के समूहों की दर्शाती है। एक जाति समूह के व्यवसाय, परंपराओं, जीवन शैली व संस्कृति में समानता पाई जाती है।

संरचना:

जाति व्यवस्था समाज में पदानुक्रम को इंगित करती है। यह उच्च वर्ग व निम्न वर्ग में समाज को विखंडित करती है।

भारतीय समाज में प्रत्येक क्षेत्र में जातियों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिये संविधान द्वारा कुछ प्रावधान किये गए हैं जिनमें राजनीतिक और नौकरियों में प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना प्रमुख है।

वर्तमान में जातियों के स्वरूप में परिवर्तन आया है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित है:

  • अंतर-जातीय विवाह की प्रवृत्ति में एकारात्मक बढ़ोतरी
  • जागतिगत व्यवस्था में परिवर्तन
  • शहरीकरण, पाश्चात्यकरण में परिवर्तन
  • निम्न जातियों की आर्थिक स्थिति में सुधार
  • शिक्षा का विकेंद्रीकरण
  • आर्थिक स्वतंत्रता
  • अस्पृश्ता उन्मूलन कानून, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) कानून, आदि के माध्यम से जातीय आधार पर भेदभाव को रोकने संबंधी विविध प्रावधानों की उपस्थिति।
  • पंचायती राज संस्थाओं में प्रतिनिधित्व हेतु आरक्षित स्थानों व संसद व विधान सभाओं में आरक्षित स्थानों के कारण राजनीतिक प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ।
  • जातीय स्वरूप में परिवर्तन व प्रतिनिधित्व में वृद्धि के पश्चात् भी कुछ चिंताएँ विद्यमान हैं-
  • जातीय आधार पर हिंसा (भीमा कोरेगाँव की घटना)
  • अंर्तजातीय विवाह की स्थिति में ऑनर कीलिंग (Honour Killing) जैसी घटनाएँ अभी भी प्रकाश में आती है, इत्यादि।

निष्कर्ष:

जातीय स्वरूप में परिवर्तन परिलक्षित हो रहें हैं जिससे देश के विभिन्न समाजिक क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य व जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।