Be Mains Ready

नैतिकता से आप क्या समझते हैं और इसके निर्धारक क्या हैं? नैतिकता मूल्यों से अलग कैसे है? (250 शब्द)

21 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• नैतिकता और मूल्यों को परिभाषित करते हुए परिचय दीजिये।

• नैतिकता शब्द से आप जो समझते हैं, उसे लिखिये और मानवीय क्रियाओं में इसके निर्धारकों का विवरण दीजिये।

• दोनों पदों के बीच अंतर को सूचीबद्ध कीजिये।

परिचय:

  • नीतिशास्त्र, मनुष्य के व्यवहार में सहमति नैतिक आचरण के नियमों का समुच्चय है। यह मनुष्यों के दैनिक निर्णयों व किसी परिस्थिति में प्रतिक्रिया को निर्धारित करता है।
  • नीतिशास्त्र, किसी व्यक्ति समाज के कल्याण तथा उसके नैतिक दर्शन को निर्धारित करता है। यह व्यक्ति व समाज के आचरण, चरित्र, परंपराओं व मूल्यों का निर्धारक होता है।
  • मूल्य, किसी व्यक्ति व समाज के आचरण के आदर्श मानक होते हैं जिन्हें धर्म, विचार, राजनैतिक व्यवस्था से निर्धारित किया जा सकता है।

संरचना:

  • नीतिशास्त्र निम्न दुविधाओं से संबंधित है।
  • अच्छा जीवन कैसे व्यतीत किया जाए।
  • अपने अधिकार और कर्तव्य।
  • सही व गलत की परिभाषा।
  • नैतिक निर्णय।

नैतिकता के निर्धारण:

  • नैतिकता मनुष्य के निर्णयों व कार्यों को निर्धारित करती है। नैतिकता फलन क्या सही है? और क्या गलत है? के निर्धारण में सहायक होती है।
  • तत्त्व मुख्यत: मूल्य होते हैं। (उदाहरणस्वरूप यदि किसी समाज के मूल्यों में पेड़ काटना पाप है तब उस समाज के व्यक्ति पेड़ काटने को गलत मानेगा तथा उसके व्यवहार में भी परिलक्षित होगा।)

नैतिकता के निर्धारक तत्त्व निम्नलिखित हैं:

  • मानवीय कर्म का उद्देश्य: मानवीय कर्म का उद्देश्य उसके नैतिकता के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी कार्य का सही उद्देश्य उस कार्य को नैतिक रूप से सही निर्धारित करता है, जबकि किसी कार्य का गलत उद्देश्य उसके अनैतिक कार्य की श्रेणी में रखता है।
  • मानवीय कर्म में परिस्थिति जन्य सापेक्षता: किसी कार्य व निर्णय की नैतिकता उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करती है। आवश्यकता होने पर किसी निर्दोष व्यक्ति को सजा से बचाने के लिये झूठ बोलना परिस्थितिजन्य रूप से सही है, जबकि झूठ बोलना नैतिक रूप से सही नहीं है।
  • मानवीय कार्य को निर्धारित करने वाले भावनात्मक तत्त्व: किसी कार्य को संपन्न करने की अच्छी भावना उसको नैतिक रूप से उचित ठहराती है, जबकि किसी कार्य को करने की दुर्भावना, उस कार्य को करने की दुर्भावना उस कार्य को नैतिक रूप से अनुचित ठहराती है।
नैतिकता व मूल्यों में असमानता
नैतिकता मूल्य
नैतिकता, नीतिशास्त्र के नियमों व दिशा निर्देशों के आधार पर किसी उद्देश्य या कार्य की वैधता को सही ठहराती है। मूल्य, सिद्धांतों व आदर्शों पर निर्भर करते हैं। जिनकी सहायता से सही में से क्या अधिक सही का निर्धारण किया जा सके।
यह कार्यों का निर्धारक होती है। यह विचारों में समाहित होती है तथा विचारों को प्रभावित करती है।
यह सार्वभौमिक है। यह विभिन्न समाजों, व्यक्तियों व समुदायों में परिवर्तनशील है।
यह परिस्थितिवश नैतिक रूप से सही व गलत का निर्धारण करता है। यह विचारों, उद्देश्यों के निर्धारण में सहायक होता है।

निष्कर्ष:

  • नैतिकता सार्वभौमिक है, जबकि मूल्यों के निर्धारण में परिवर्तनशीलता होती है।
  • नैतिकता व मूल्य दोनों ही मानव सभ्यता को विनियमित व नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।