'अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र' का अर्थ क्या है? इसके महत्व का उल्लेख कीजिये और इस संदर्भ में रोहिंग्या मुद्दे पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
20 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र को परिभाषित कीजिये।
- इसके महत्त्व को रेखांकित कीजिये।
- रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे के संदर्भ में ‘अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र’ की आवश्यकताओं का विस्तार से वर्णन कर राह सुझाइये।
परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र से तात्पर्य विश्व के देशों के मध्य राजनैतिक व आर्थिक संबंधों में नैतिक मूल्यों के समावेश व उनके व्यवहारिक प्रयोग से है।
- अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र का पालन वैश्विक व्यापार, मानव अधिकारों के संरक्षण से संबंधित कानूनों, वैश्विक कानूनों में समानता स्थापित करने तथा मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित व उन्हें नियमित करने आदि में किया जाता है।
संरचना
अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र का महत्त्व
- विश्व को व्यवस्थित रखने के लिये: विश्व में विभिन्न देशों में भी विविधताएँ विद्यमान हैं। ये विविधताएँ मुख्यत: राजनैतिक मूल्यों व व्यवस्थाओं, सामाजिक मूल्यों में विविधता आदि के रूप में विद्यमान हैं। इसलिये इन विविध मूल्यों के मध्य संतुलन स्थापित करने व विश्व को व्यवस्थित रखने हेतु अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मूल्य महत्त्वपूर्ण हैं।
- मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये: अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता मानवाधिकारों की स्थापना व संरक्षण में सहायक है। इसके लिये यू.एन.एच.आर.सी. जैसे वैश्विक संगठन कार्यरत हैं। इसका उदाहरण श्रीलंका में मानवाधिकारों के उल्लंघन में वैश्विक हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है।
- मानव कल्याण व शांति स्थापना के लिये: अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र वैश्विक शांति स्थापना व मानव कल्याण, मानव विकास तथा अधिकतम जीव कल्याण हेतु प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह जलवायु परिवर्तन, वन्यजीव संरक्षण, शरणार्थी सहायता, आपदा के समय वैश्विक सहायता आदि जैसी नैतिकता पर आधारित मूल्य है।
- सामाजिक न्याय व आर्थिक न्याय के लिये: संयुक्त राष्ट्र संघ तथा विश्व व्यापार संघ (WTO), देशों के समूहों (G-77, G-7, आसियान) की स्थापना व इनके निर्णयों के क्रियान्वयन के लिये नैतिक मूल्य उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
रोहिंग्या मुद्दे के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मूल्यों की भूमिका का महत्त्व:
- मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों की पहचान व उनके समाधान हेतु भारत व बांग्लादेश द्वारा इस दिशा में उचित प्रयास किया गया।
- म्याँमार में सेना द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना की गई।
- क्षेत्रीय स्थिरता व शांति की स्थापना हेतु रोहिंग्या समस्या का भारत, बांग्लादेश व म्याँमार द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर समाधान का निरंतर प्रयास किया जा रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन।
आगे की राह
- ‘वैश्विक ग्राम’ की अवधारणा को पोषित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मूल्यों के संवर्द्धन व वैश्विक नियमों में इनके अधिकतम समावेश की आवश्यकता है।
- वैश्विक हितों को देश हित पर वरीयता प्रदान किये जाने की आवश्यकता है। (इसके उदाहरण हैं- अमेरिका द्वारा पेरिस जलवायु समझौता, यूनेस्को की सदस्यता को त्यागना आदि)