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तीव्र एकीकृत व तकनीकी रूप से संचालित सीमा रहित विश्व में, सभी के लिए अंतरराष्ट्रीय नैतिकता की रूपरेखा सभी के लिए एक अभिलाषायुक्त चिंतन है। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

20 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • अंतर्राष्ट्रीय नीतिशास्त्र को परिभाषित कीजिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता को अपनाने में आने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
  • आलोचनात्मक विश्लेषण करते हुए बताइये की अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता फ्रेमवर्क अपनाना संभव है।
  • आगे की राह सुझाइये।

परिचय:

  • अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उत्तरदायित्व व समानता को निर्धारित करने वाली अवधारणा है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निर्धारण, अनुपालन व नीति निर्माण में मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है।

संरचना

अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के अनुपालन में आने वाली बाधाएँ

  • राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता: वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सरकार द्वारा आर्थिक व रणनीतिक हितों को प्राथमिकता दी जा रही है। जबकि विश्व के महत्त्वपूर्ण विषयों जैसे- जलवायु परिवर्तन, परमाणु हथियारों से संबंधित मुद्दों को राष्ट्रीय हित के आधार पर प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। इसका सर्वोत्तम उदाहरण ईरान के साथ P5 + 1 समझौते से अमेरिका का बाहर निकलना है।
  • विश्व में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व नृजातीयता में असमानता के साथ ही आर्थिक असमानता अंतर्राष्ट्रीय हितों के क्रियान्वयन में वाधा उत्पन्न करती है।
  • विश्व के विकसित व विकासशील देशों के मध्य हित संघर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के अनुपालन में बाधा उत्पन्न करता है।
  • यह हित संघर्ष प्रमुख रूप से व्यापार अथवा प्रतिस्पर्द्धा, ऊर्जा सुरक्षा आदि के क्षेत्र में है।

अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता की संभावनाएँ

  • संपूर्ण विश्व के समक्ष जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, विश्व व्यापार, ग्लोबल वार्मिंग, जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे विद्यमान हैं। इनके निराकरण हेतु संधारणीय विकास लक्ष्य, वैश्विक तापन से निपटने के लिये क्योटो प्रोटोकाल, मॉन्ट्रिीयल प्रोटोकॉल आदि अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के संवर्द्धन में सहायक हो सकते हैं।
  • प्रवासी समुदाय, संचार के उन्नत साधन व उनकी वैश्विक पहुँच, शिक्षा का प्रसार आदि सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समान नैतिक मानदंड स्थापित करने हेतु बाध्य करेंगे।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों व भू-भागों के मध्य समन्वय की भावना अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के संवर्द्धन में सहयोग करती है।

आगे की राह

  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे- WTO, UN) व क्षेत्रीय संगठनों (जैसे- आसियान, SCO) आदि को नैतिक मूल्यों का अनुपालन सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास करना चाहिये।