जब तक कृषि नीति को सुधार के एजेंडे में प्रमुख स्थान नहीं दिया जाता है, तब तक विकास तो होगा किंतु असमानता के साथ, जिसका कोई अर्थ नहीं है। टिप्पणी कीजिये।
11 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- भारत के विकास परिदृश्य में मौजूद असमानता को संक्षेप में उजागर करते हुए बताए कि भारतीय समाज में समावेशिता लाने में कृषि क्षेत्र एक अहम् भूमिका निभा सकता है।
- कृषि विकास को बाधित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करें
- कृषि क्षेत्र से संबंधित विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के विषय में चर्चा करें
- एक ऐसी नीति की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए आगे की राह प्रदान करें जो अन्य क्षेत्रों में कृषि श्रम के विविधीकरण को बढ़ावा देती हो।
मुख्य बिंदु
- कृषि जनगणना 2011 के अनुसार, 60% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, जबकि भारतीय जी.डी.पी. में कृषि की हिस्सेदारी मात्र 4%बनी हुई है।
- आक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1% लोगों के पास कुल संपत्ति का 73% स्वामित्व विद्यमान है।
कृषि में नीतिगत सुधारों की आवश्यकताः
- बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्यान्न सुरक्षा हेतु
- सीमांत जोतों की अधिक संख्या
- अर्थव्यवस्था में कृषि विकास दर की भागीदारी में वृद्धि करने हेतु
- अनुसूचित जनजातियों तथा कृषि पर आधारित परिवारों के गरीबी उन्मूलन हेतु
- कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी व नवाचार को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु। जैसे- आर्य योजना(Arya), मेरा गाँव, मेरा देश कार्यक्रम
- कृषि आधारित उद्योगों के विकास तथा कृषि संकट के समाधान हेतु
कृषि क्षेत्र में मुख्य समस्याएँः
- प्रति हेक्टेयर निम्न उपज
- पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं का अभाव
- कृषि विपणन हेतु क्षेत्रीय नीतियों का अभाव
- कृषि के सहायक क्षेत्रों के विकास का अभाव जैसे- मत्स्यन, डेयरी फार्मिंग आदि
- ग्रामीण संकट तथा प्रच्छन्न बेरोज़गारी
कृषि क्षेत्र में हाल में किये गए सुधारः
- पी.एम.- किसान योजना के माध्यम से 6000 रुपए की सहायता राशि का प्रत्यक्ष हस्तांतरण
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का क्रियान्वयन
- कृषकों की आय दोगुनी करने हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि
- कृषि के अवसंरचनात्मक ढांँचे में सुधार हेतु बैंकिंग सेवाओं (KCC, DBT), सहकारी समितियों को प्रोत्साहन प्रदान किया गया है
आगे की राहः
- सीमांत कृषकों को विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिये
- कृषि में तकनीक व प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने हेतु कृषि शिक्षा व विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि किये जाने की आवश्यकता है
- अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रें को विकसित करना जिससे कृषि के कारण उत्पन्न मौसमी तथा प्रच्छन्न बेरोज़गारी को दूर किया जा सके