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  • 11 Jun 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    कृषि संकट के स्थायी समाधान हेतु कृषि-विपणन और व्यापार नीतियों में सुधार के साथ-साथ किसानों को प्रत्यक्ष आय समर्थन की आवश्यकता है। परीक्षण कीजिये।

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रस्तावित प्रत्यक्ष आय समर्थन का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
    • कृषि-विपणन और व्यापार नीतियों में सुधार का वर्णन करें जो कि कृषि संकट के दीर्घकालिक समाधान हेतु पूरक हो सकते हैं।

    प्रमुख बिंदु

    डब्ल्यू.टी.ओ. के अनुसार प्रत्यक्ष आय सर्मथन का तात्पर्य कृषकों द्वारा उत्पादित फसल के मूल्य को प्रभावित किये बिना प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता है। यह ग्रीन बॉक्स सब्सिडी के अंतर्गत आती है।

    • केंद्र सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने व कृषि संकट का सामना करने हेतु पी.एम.-किसान (PM-KISHAN) योजना प्रारंभ की है जिससे कृषक कृषि कार्यों व बीज तथा उर्वरक हेतु व्यय कर सकेंगे। यह पहल नीति आयोग की अनुशंसाओं पर आधारित है। इसी प्रकार कुछ राज्य सरकारों ने भी 'रायथु बंधु' योजना (तेलंगाना) व 'कालिया' योजना (ओडिशा) शुरू किया है।
    • कृषि संकट को कृषि विपणन के विस्तार तथा कृषि उपज को बाज़ार से सीधे जोड़ने के द्वारा हल किया जा सकता है।
    • वर्तमान में ए.पी.एम.सी. एक्ट (APMC Act) के कारण बाज़ार परिधि के बाहर कृषक अपनी ऊपज को सीधे व्यापारी/प्रसंस्करण इकाई/निर्यातक को नहीं बेच सकता है जिस कारण किसानों को प्रतिस्पर्द्धी मूल्य प्राप्त नहीं हो पाता है।
    • कृषि क्षेत्र में बिचौलियों की उपस्थिति बाज़ार में उपभोक्ता व उत्पादक दोनों को वास्तविक लाभ प्राप्त करने से वंचित करती है। इसके समाधान हेतु केंद्र सरकार ने ‘ई-नाम पोर्टल’ शुरू किया है। परंतु ग्रामीण क्षेत्रें में आई-सी-टी- (ICT) सुविधाओं की सार्वभौमिकता का अभाव, कृषकों में जागरूकता व शिक्षा कमी के कारण इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
    • कृषि के आनुवांशिक क्षेत्रें जैसे दुग्ध उत्पादन, डेयरी को सहकारिता के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है, उदाहरणतः अमूल डेयरी।
    • कांट्रेक्ट फार्मिंग को कृषि के तकनीकी व वित्तीय उन्नयन हेतु प्रभावी बनाये जाने की आवश्यकता है इसके लिये मॉडल कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट-2018 महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कृषक उत्पादक संघों (FPO) को प्रोत्साहन, विवाद निवारण तंत्र की इस एक्ट की मुख्य विशेषता है।
    • APMC Act के अंतर्गत मंडी व्यापारियों को लाइसेंस की अनिवार्यता इन व्यापारियों के एकाधिकार (monopoly) की संभावना को बढ़ावा देती है जिसका कारण नए एंटरप्रन्योटव्यापारियों की इस क्षेत्र में उपस्थिति बाधित होती है जो व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा को न्यून करती है जिस कारण कृषकों को हानि/शोषण की संभावना बनी रहती है।

    आगे की राह

    • कृषि विपणन ईकाईयों के विस्तृत संजाल के साथ कोल्ड स्टोर जैसे अवसंरचनात्मक सुविधाओं का विस्तार कृषकों की मोलभाव क्षमता में वृद्धि करने में सहायक होगा।
    • APMC Act में सुधार की आवश्यकता है।
    • कृषि आधारित नवीन तकनीकों का विकास जिससे कृषि उत्पाद के निर्यात में बढ़ोतरी हो सकेगी।
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