भारत में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के उद्देश्यों और महत्त्व का परीक्षण करें और इसमें शामिल चुनौतियों को भी स्पष्ट करें।
14 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण
- सुपरकंप्यूटिंग मिशन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- इसके उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- लाभ और चुनौतियों का विस्तृत विवरण दीजिये।
परिचय
- 25 मार्च, 2015 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने दी थी।
- संचार और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास, वैश्विक प्रौद्योगिकी के रुझानों और बढ़ती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को मंज़ूरी दी थी। इस मिशन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग कार्यान्वित कर रहे हैं।
सुपरकंप्यूटिंग मिशन के उद्देश्य :
- भारत को सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनाने और राष्ट्रीय एवं वैश्विक प्रासंगिकता की चुनौती और समस्याओं को हल करने में भारत की क्षमता को बढ़ाने के लिये।
- हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्त्ताओं को अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं के साथ सशक्त बनाना और उन्हें अपने डोमेन में अत्याधुनिक अनुसंधान करने में सक्षम बनाना।
- सुपरकंप्यूटिंग में निवेश हेतु को प्रोत्साहन देने के लिये।
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा प्राप्त करने और सुपरकंप्यूटिंग तकनीक के रणनीतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिये।
- अनुसंधान और विकास संस्थानों को सुपर कंप्यूटिंग ग्रिड से जोड़ना।
महत्त्व:
- यह मिशन सरकार की ई-प्रशासन नीति को बेहतर बनाने के साथ ही डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभएगा।
- इन सुपर कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न मंत्रालयों, वैज्ञानिकों व शोध संस्थानों ,वाहन उद्योग, नई दवाओं के निर्माण, ऊर्जा व जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों मे किया जायेगा।
- सुपर कंप्यूटर को मौसम पूर्वानुमान, जलवायु मोडलिंग, बायोलॉजी, परमाणु ऊर्जा सिमुलेशन, बिग डेटा विश्लेष्ण, आपदा सिमुलेशन और प्रबंधन आदि में उपयोगी होगा।
- सुपरकंप्यूटिंग मिशन के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भारत की गिनती अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे सुपरकंप्यूटर से संपन्न देशों में होगी।
चुनौतियाँ:
- निवेश के अभाव के कारण कार्यक्रम में देरी।
- हार्डवेयर व अन्य घटकों के लिये आयात पर निर्भरता।
- मिशन के कार्यान्वयन में एक से अधिक संस्थानों/ मंत्रालयों की भागीदारी के चलते मिशन के निर्णयों में अनावश्यक देरी।
- दक्ष कार्यबल का अभाव।
आगे की राह:
- इस मिशन में स्वदेशी तकनीक के प्रयोग को बढावा देना।
- वित्तीय सहायता में वृद्धि।
- औद्योगिक क्रांति-4 का पूर्ण लाभ प्राप्त करने लिए मिशन को समयबद्ध चरणों में पूरा किया जाना आवश्यक है।