ध्यान दें:

70th BPSC Mains

नि:शुल्क साप्ताहिक निबंध लेखन
  • 06 Apr 2025 निबंध लेखन निबंध

    दिवस- 28: भारत में राजकोषीय संघवाद। (700 शब्द)

    परिचय: 

    राजकोषीय संघवाद के परिचय के साथ उत्तर की शुरूआत कीजिये: राजकोषीय संघवाद से तात्पर्य संघीय व्यवस्था में सरकारों की इकाइयों, अर्थात् भारत में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों से है।

    • मुद्दे को स्पष्ट करने के लिये एक उद्धरण या संदर्भ का उपयोग कीजिये: "वित्त एक संघीय राज्य में शासन की जीवनरेखा है।" – के.सी. व्हेयर
    • समकालीन भारत में वित्त की प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिये: वित्त का केंद्रीकरण, राज्य स्वायत्तता और राजकोषीय हस्तांतरण पर चर्चित मुद्दे।

    मुख्य भाग: 

     ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

    • ब्रिटिश भारत और केंद्रीकृत वित्त।
    • स्वतंत्रता के बाद: योजना आयोग की भूमिका।
    • संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 268-293, सातवीं अनुसूची, वित्त आयोग।
    • महत्त्वपूर्ण सुधार: GST, 14वाँ और 15वाँ वित्त आयोग, योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग।

    भारत में राजकोषीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएँ

    • कर आरोपण शक्तियों का विभाजन (संघ सूची बनाम राज्य सूची)।
    • वित्त आयोग और नीति आयोग की भूमिका।
    • अनुदान सहायता, कर हस्तांतरण फार्मूला।
    • GST परिषद एक नई सहकारी संघीय व्यवस्था है।

    राजकोषीय संघवाद से संबंधित चुनौतियाँ

    • ऊर्ध्वाधर असंतुलन (राजस्व में केंद्र का उच्च हिस्सा बनाम राज्यों की व्यय ज़िम्मेदारियाँ)।
    • क्षैतिज असंतुलन (राज्यों के बीच असमान विकास)।
    • GST से संबंधित मुद्दे: मुआवजे में देरी, राजकोषीय स्वायत्तता में कमी।
    • वित्त के आवंटन का राजनीतिकरण।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों की भूमिका का कम होना।
    • संकट के दौरान तनाव (जैसे, COVID-19, प्राकृतिक आपदाएँ)।

    प्रमुख संस्थाएँ और आयोग

    • वित्त आयोग (FC)
      • केंद्रीय करों और अनुदानों के आवंटन की सिफारिश करने हेतु प्रत्येक पाँच वर्ष में इसकी स्थापना की जाती है।
    • 14वाँ वित्त आयोग (2015-2020):
      •  केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% की गई।
      • राजकोषीय स्वायत्तता और सहकारी संघवाद पर ज़ोर दिया गया।
    • 15वाँ वित्त आयोग (2020-2026)
      • राज्यों को 41% हिस्सेदारी की सिफारिश की गई (जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के कारण 1% कम)।
      • राज्यों के लिये प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन शुरू किया गया।
    • सरकारिया आयोग (1983-1988)
      • अंतर-राज्यीय परिषद को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया।
      • अनुदान में अधिक वित्तीय हस्तांतरण और पारदर्शिता का सुझाव दिया गया।
    • पुंछी आयोग (2007-2010)
      • वित्त आयोग का निश्चित कार्यकाल और संस्थागत सुदृढ़ीकरण का सुझाव दिया गया।
      • एक स्थायी अंतर-राज्यीय व्यापार और वाणिज्य आयोग का समर्थन किया गया।
    • नीति आयोग
      • वर्ष 2015 में योजना आयोग का स्थान लिया गया।
      • सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।

    सुधार और सुझाव

    • राज्यों को सशक्त बनाना: राजस्व संग्रहण की अधिक शक्तियाँ।
    • GST परिषद के संघीय चरित्र को मज़बूत करना।
    • पारदर्शी एवं नियम-आधारित स्थानांतरण।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं का पुनर्गठन।
    • वित्त और कार्यों के साथ स्थानीय निकायों को मज़बूत बनाना।

    निष्कर्ष : 

    • राजकोषीय जवाबदेही के साथ "सहकारी संघवाद" से "प्रतिस्पर्द्धी संघवाद"
    • स्वायत्तता से समझौता किये बिना राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना।
    • निधि प्रवाह में प्रौद्योगिकी आधारित पारदर्शिता (PFMS, DBT, आदि)।
    • "सच्चा संघवाद केवल सत्ता के बंटवारे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ज़िम्मेदारियों और संसाधनों का समान रूप से बंटवारा भी शामिल है।"
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2