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70th BPSC Mains

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  • 06 Apr 2025 निबंध लेखन निबंध

    दिवस- 28: भारत में कृषि सुधार और किसानों की समृद्धि। (700 शब्द)

    परिचय: 

    • भारत में कृषि के महत्त्व के साथ उत्तर की शुरुआत कीजिये: "कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, जो लगभग 45% कार्यबल को रोज़गार प्रदान करती है, फिर भी सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान केवल 18% है।"
    • व्यापक रूप से कृषि के विकास में आने वाली समस्याओं के साथ बड़े कृषि आधार के विरोधाभास को समझाइये।
    • कृषि सुधारों और किसानों की समृद्धि के बीच संबंध का परिचय दीजिये

    मुख्य भाग: 

    ऐतिहासिक संदर्भ

    • स्वतंत्रता के बाद के भूमि सुधारों (ज़मींदारी उन्मूलन, भूमि हदबंदी) का उल्लेख कीजिये।
    • हरित क्रांति: उपलब्धियाँ और क्षेत्रीय असमानताएँ।
    • दूसरी पीढ़ी के सुधारों की आवश्यकता।

    कृषि सुधारों के आयाम:

    • भूमि एवं काश्तकारी सुधार
      • काश्तकारों के लिये भूमि स्वामित्व एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना।
      • डिजिटल भूमि अभिलेख और भूमि पट्टा संबंधित कानून।
    • बाज़ार सुधार
      • MPMC अधिनियम सुधार और ई-नाम।
      • निजी मंडियों और अनुबंध खेती की भूमिका (सुरक्षा उपायों के साथ)।
    • ऋण और बीमा सुधार
      • किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा (PMFBY)।
      • साहूकारों की अपेक्षा संस्थागत ऋण की आवश्यकता।
    • प्रौद्योगिकी और नवाचार
      • परिशुद्ध कृषि, AI, IoT, ड्रोन उपयोग।
      • कृषि-विस्तार सेवाओं तक पहुँच का विस्तार करना।
    • सिंचाई एवं जल प्रबंधन
      • पीएम कृषि सिंचाई योजना, सूक्ष्म सिंचाई।
      • वर्षा जल संचयन, जलग्रहण विकास।
    • भंडारण और रसद
      • वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन, कृषि-आधारभूत संरचना निधि।
      • फसल-उपरांत होने वाली हानियों को कम करना।
    • विविधीकरण और स्थिरता
      • अनाज की खेती से आगे बढ़ते हुए: बागवानी, दालें, पशुपालन।
      • जैविक खेती और कृषि-पारिस्थितिकी दृष्टिकोण।

    सुधारों से संबंधित चुनौतियाँ

    • कार्यान्वयन में अंतराल, राज्य-केंद्र समन्वय संबंधी मुद्दे।
    • कम जागरूकता के कारण परिवर्तन का प्रतिरोध।
    • MSP के लाभ में असमानता, क्षेत्रीय असंतुलन।
    • किसान का विरोध और विश्वास की कमी (जैसे, कृषि कानूनों की वापसी)।

    केस स्टडीज़ और डेटा

    • पंजाब में उत्पादकता अधिक होने के बावजूद जल संकट जैसे उदाहरण दीजिये।
    • कृषक उत्पादक संगठनों (FPO) के साथ महाराष्ट्र की सफलता।
    • नाबार्ड की रिपोर्ट, NSSO के आँकड़े, आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएँ।

     आगे की राह:

    • समावेशी, सहभागी और स्थानीयकृत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • FPO को सशक्त बनाना तथा, कृषि आधारित ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहित करना।
    • आर्थिक सुधारों को सामाजिक सुरक्षा उपायों के साथ जोड़ना।
    • सुधार निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर सुनिश्चित करना साथ ही किसानों से परामर्श करना।

     निष्कर्ष: 

    • गाँव की आत्मनिर्भरता के गांधीवादी दृष्टिकोण, अमर्त्य सेन की क्षमताओं के विचार, या किसानों की आय दोगुनी करने के दृष्टिकोण पर ज़ोर देना।
    • एक आशापूर्ण निष्कर्ष के साथ उत्तर को समाप्त कीजिये:
      • किसानों की समृद्धि केवल एक आर्थिक लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक नैतिक और राष्ट्रीय अनिवार्यता है।"
      • "सतत्, न्यायसंगत और किसान-केंद्रित सुधार वास्तव में भारतीय कृषि को राष्ट्रीय समृद्धि के स्तंभ में बदल सकते हैं।"
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