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वायु प्रदूषण के कारण आर्थिक क्षति विश्लेषण 2021

  • 20 Feb 2021
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

ग्रीनपीस दक्षिण पूर्व एशिया (गैर-सरकारी संगठन) द्वारा प्रकाशित ‘वायु प्रदूषण के कारण आर्थिक क्षति का विश्लेषण 2021’ (Cost to Economy Due to Air Pollution Analysis 2021) नामक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 वायु प्रदूषण वर्ष 2020 में दिल्ली में लगभग 54,000 लोगों की मृत्यु का कारण बना।

पीएम 2.5: यह 2.5 माइक्रोमीटर व्यास से छोटे सूक्ष्म पदार्थ को संदर्भित करता है। यह श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है और दृश्यता को भी कम करता है। यह एक अंतःस्रावी व्यवधान है जो इंसुलिन स्राव और इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकता है तथा इस प्रकार यह मधुमेह का कारण भी बन सकता है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारतीय शहरों की स्थिति:
    • दिल्ली:
      • जुलाई 2020 में ग्रीनपीस ने पाया कि अध्ययन में शामिल 28 वैश्विक शहरों में से दिल्ली में वायु प्रदूषण का सबसे अधिक आर्थिक प्रभाव पड़ा। COVID-19 के प्रसार को रोकने हेतु लागू सख्त लॉकडाउन के बावजूद वर्ष 2020 की पहली छमाही में अनुमानित 24,000 लोगों की मृत्यु (प्रदूषण के कारण) हुई।
      • वर्ष 2020 में दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा (10 μg/m3 वार्षिक औसत) से लगभग छह गुना अधिक था।
      • इस दौरान वायु प्रदूषण से संबंधित आर्थिक क्षति अनुमानित 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो कि दिल्ली के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 13% है।
    • मुंबई:
      • वर्ष 2020 में मुंबई में अनुमानित 25,000 असामयिक मौतों (Avoidable Deaths)के लिये पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के कारण वायु प्रदूषण को उत्तरदायी बताया गया है।
    • अन्य शहर:
      • अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण के कारण हुआ नुकसान उतना ही चिंताजनक है,ये शहर हैं मुंबई, बंगलूरू, चेन्नई, हैदराबाद और लखनऊ जिन्हें वैश्विक विश्लेषण में शामिल किया गया है।
      • प्रदूषित हवा के कारण बंगलूरू, चेन्नई और हैदराबाद में क्रमशः 12,000, 11,000 और 11,000 असामयिक मौतों का अनुमान है।
  • वैश्विक परिदृश्य:
    • वैश्विक स्तर पर पाँच सबसे अधिक आबादी वाले शहरों - दिल्ली (भारत), मैक्सिको सिटी (मैक्सिको), साओ पाउलो (ब्राज़ील), शंघाई (चीन) और टोक्यो (जापान) में लगभग 1,60,000 लोगों की मृत्यु के लिये पीएम 2.5 को उत्तरदायी बताया गया है।
    • वर्ष 2020 में इस विश्लेषण में शामिल 14 शहरों में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण की अनुमानित आर्थिक क्षति 5 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक थी।
    • टोक्यो (जापान):
      • इस विश्लेषण में शामिल शहरों में से वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक अनुमानित वित्तीय क्षति टोक्यो में दर्ज की गई, जहाँ वर्ष 2020 में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण लगभग 40,000 असामयिक मौतें और 43 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
    • लॉस एंजेल्स (USA):
      • इस विश्लेषण में शामिल सभी शहरों की तुलना में लॉस एंजेल्स में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण की उच्चतम प्रति व्यक्ति वित्तीय क्षति (लगभग 2,700 अमेरिकी डॉलर प्रति निवासी) दर्ज की गई।
  • अध्ययन में प्रयुक्त संकेतक:
    • पीएम 2.5 मापन:
      • विभिन्न स्थानों से रियल-टाइम ग्राउंड-लेबल PM 2.5 मापन द्वारा आँकड़े एकत्र किये गए और प्राप्त आँकड़ों को IQAir के डेटाबेस में एक साथ जोड़ा गया।
        • IQAir एक वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी है।
      • विलिंग्नेस टू पे:
        • अर्थव्यवस्था पर वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों के प्रभाव को दिखाने के लिये ग्रीनपीस द्वारा उपयोग किये जाने वाले दृष्टिकोण को 'विलिंग्नेस-टू-पे' (Willingness To Pay) कहा जाता है - इसकी गणना धन की उस मात्रा के आधार पर की जाती है जिसे लोग ‘जीवन के खोए हुए एक वर्ष या विकलांगता की स्थिति में जिये एक वर्ष के बदले में भुगतान करने को तैयार हों।
      • कॉस्ट एस्टीमेटर:
        • कॉस्ट एस्टीमेटर (Cost Estimator) एक ऑनलाइन टूल है जो विश्व के प्रमुख शहरों में वास्तविक समय में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव और इसकी आर्थिक क्षति का आकलन करता है। इस आकलन के लिये कॉस्ट एस्टीमेटर को ग्रीनपीस दक्षिण-पूर्व एशिया, IQAir और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के सहयोग से तैनात किया गया था।
  • वायु प्रदूषण की घातक स्थिति:
    • वैश्विक स्तर पर:
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO):
        • WHO के अनुसार, विषाक्त हवा अब असामयिक मृत्यु से जुड़ा सबसे बड़ा पर्यावरणीय जोखिम है, जो प्रति नौ में से एक मृत्यु के लिये उत्तरदायी है।
        • यह प्रतिवर्ष 7 मिलियन लोगों की मृत्यु के लिये उत्तरदायी है, जो एचआईवी, तपेदिक और मलेरिया से होने वाली मौतों के योग से कहीं अधिक है।
    • विश्व बैंक:
      • विश्व बैंक (World Bank) की वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण के कारण होने वाली मौतें और स्वास्थ्य क्षति भी एक बड़ा आर्थिक भार है: वर्ष 2013 में 225 बिलियन अमेरिकी डॉलर की श्रम आय की क्षति हुई या यदि लोगों की देखभाल पर लगे खर्च को जोड़ लिया जाए तो यह हानि बढ़कर 5.11 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष (लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति मिनट) हो जाती है।
    • भारत में प्रदूषण से हुई क्षति:
      • कुल क्षति: भारत में वर्ष 2019 में लंबे समय तक बाहरी और घरेलू (इनडोर) वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण स्ट्रोक, दिल का दौरा, मधुमेह, फेफड़ों का कैंसर, फेफड़ों के पुराने रोगों आदि के कारण 1.67 मिलियन से अधिक वार्षिक मौतें दर्ज की गईं।
      • शिशु संबंधित डेटा: पार्टिकुलेट मैटर का स्तर बहुत अधिक होने के कारण लगभग 1,16,000 से अधिक भारतीय शिशुओं की मृत्यु में हो गई जो अपने जीवन के पहले माह को भी पार नहीं कर सके।
        • जीवन के पहले माह में शिशु एक सुभेद्य अवस्था में होते हैं और भारत में कई वैज्ञानिक साक्ष्य-समर्थित अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान पार्टिकुलेट मैटर युक्त वायु प्रदूषण के संपर्क में आने को कम वज़न वाले और अपरिपक्व शिशु के जन्म से जोड़कर देखा जा सकता है।
  • भारत में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास:
    • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन किया है। यह वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये राज्य सरकारों का समन्वित प्रयास है और इस क्षेत्र के लिये वायु गुणवत्ता के मापदंडों का निर्धारण करेगा।
    • भारत स्‍टेज मानक/मानदंड: ये वायु प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिये सरकार द्वारा जारी उत्सर्जन नियंत्रण मानक हैं।
    • वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये डैशबोर्ड: यह एक राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NAMP) आधारित डैशबोर्ड है, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी (NAAQS) नेटवर्क के डेटा के आधार पर बनाया गया है, गौरतलब है कि NAAQS को वर्ष 1984-85 में शुरू किया गया था और यह 29 राज्यों एवं 6 केंद्रशासित प्रदेशों के 344 शहरों/ कस्बों को कवर करता है।
    • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP): यह देश के 102 शहरों के लिये एक व्यापक अखिल भारतीय वायु प्रदूषण उन्मूलन योजना है, इसे वर्ष 2019 में शुरू किया गया था।
    • राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI): यह उन स्वास्थ्य प्रभावों पर केंद्रित है जिन्हें कोई भी व्यक्ति प्रदूषित वायु में साँस लेने के कुछ घंटों या दिनों के भीतर अनुभव कर सकता है।
    • राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक: ये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत अधिसूचित विभिन्न प्रदूषकों के संदर्भ में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानक हैं।
    • ब्रीद (Breathe): यह नीति आयोग द्वारा वायु प्रदूषण के मुकाबले के लिये 15 पॉइंट एक्शन प्लान है।
    • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY): इसका उद्देश्य गरीब परिवारों को खाना पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराना और उनके जीवन स्तर में गुणात्मक वृद्धि करना है।

स्रोत: द हिंदू

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