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सकारात्मक स्वदेशीकरण की चौथी सूची

  • 16 May 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (DPSU), सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (PIL), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), मिशन डेफस्पेस, iDEX योजना, रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर, NETRA 

मेन्स के लिये:

भारत में रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण की स्थिति

चर्चा में क्यों? 

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम (DPSU) को सकारात्मक स्वदेशीकरण की चौथी सूची (PIL) के लिये मंज़ूरी मिल गई है।

  • इस सूची में आयात प्रतिस्थापन मूल्य के लगभग 715 करोड़ रुपए के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण 928 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट (LRU), उप-प्रणालियाँ, पुर्जे और घटक शामिल हैं।

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची:

  • परिचय:  
    • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की अवधारणा इस बात पर केंद्रित है कि भारतीय सशस्त्र बल, जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना शामिल हैं, विशेष रूप से घरेलू निर्माताओं से सूचीबद्ध वस्तुओं को प्राप्त करेंगे। 
      • इन निर्माताओं में निजी क्षेत्र या रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (DPSU) की संस्थाएँ शामिल हो सकती हैं।
    • सकारात्मक स्वदेशीकरण की चौथी सूची पिछली तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों का अनुसरण करती है जो क्रमशः दिसंबर 2021, मार्च 2022 और अगस्त 2022 में प्रकाशित हुई थीं। 
      • अब तक 310 वस्तुओं का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण किया जा चुका है, जिनका विश्लेषण इस प्रकार है: प्रथम सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची- 262 वस्तुएँ, द्वितीय सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची- 11 वस्तुएँ और तृतीय सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची- 37 वस्तुएँ।
      • यह पहल भारत की 'आत्मनिर्भरता' के दृष्टिकोण के अनुरूप है और इसका उद्देश्य घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना, निवेश बढ़ाना तथा आयात पर निर्भरता को कम करना है।
  • स्वदेशीकरण और आंतरिक विकास:
    • स्वदेशीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये DPSU सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) तथा भारत के निजी उद्योग की क्षमताओं के माध्यम से आंतरिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए 'मेक' श्रेणी के तहत विभिन्न मार्गों का उपयोग करना है।
    • यह दृष्टिकोण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और रक्षा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करेगा। इसके अतिरिक्त यह पहल अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों को सक्रिय रूप से शामिल करके घरेलू रक्षा उद्योग की डिज़ाइन क्षमताओं के विकास को बढ़ावा देगी। 
  • खरीद और उद्योग की भागीदारी:
    • DPSU चौथी सकारात्मक सूची में सूचीबद्ध वस्तुओं हेतु खरीद कार्रवाई शुरू करने के लिये तैयार है। प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने हेतु सृजन पोर्टल डैशबोर्ड को विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है।

भारत में रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण की स्थिति:

  • स्वदेशीकरण की आवश्यकता:
    • वर्ष 2013-17 और 2018-22 के बीच भारत को हथियारों के आयात में 11% की गिरावट आई है, हालाँकि देश वर्ष 2022 में भी सैन्य हार्डवेयर के मामले में विश्व का शीर्ष आयातक है, यह बात स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट में उजागर हुई है।
  • वर्तमान अनुमान और लक्ष्य:
    • वर्तमान अनुमान के अनुसार अगले पाँच वर्षों में भारत का रक्षात्मक पूंजीगत व्यय 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है।
    • रक्षा मंत्रालय ने अगले पाँच वर्षों में रक्षा निर्माण में 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपए) का टर्नओवर लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात लक्ष्य भी शामिल है। 
  • सरकारी पहल:
    • खरीद प्राथमिकता: रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP)- 2020 बाय इंडियन (IDDM) श्रेणी के तहत घरेलू स्रोतों से पूंजीगत वस्तुओं की खरीद को प्राथमिकता देती है।
    • उदारीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति: FDI नीति अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हेतु रक्षा उद्योग में स्वचालित मार्ग के तहत 74% FDI की अनुमति देती है और सरकारी मार्ग के माध्यम से 100% की अनुमति है। 
    • मिशन डेफस्पेस: अंतरिक्ष क्षेत्र में रक्षा संबंधी नवाचारों और विकास को बढ़ावा देने के लिये मिशन डेफस्पेस लॉन्च किया गया है।
    • रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX) योजना: iDEX योजना में रक्षा नवाचार परियोजनाओं में स्टार्टअप और MSME शामिल हैं, जो उनकी भागीदारी और योगदान को बढ़ावा देते हैं।
    • रक्षा औद्योगिक गलियारे: उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किये गए हैं, जो रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने एवं निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • भारत में स्वदेशी रक्षा शस्त्रागार के उदाहरण:  
    • तेजस विमान: तेजस एक हल्का, बहु-भूमिका वाला सुपरसोनिक विमान है जिसे भारत में स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
    • अर्जुन टैंक: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defense Research and Development Organization- DRDO) द्वारा विकसित, अर्जुन टैंक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है जो बख्तरबंद वाहन प्रौद्योगिकी में भारत की विशेषज्ञता को प्रदर्शित करता है।
    • नेत्र (NETRA): नेत्र एक हवाई पूर्व चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली है जिसे घरेलू स्तर पर विकसित किया गया है, जो महत्त्वपूर्ण निगरानी एवं टोही क्षमता प्रदान करती है।
    • अस्त्र (ASTRA): भारत ने सफलतापूर्वक अस्त्र विकसित किया है, जो देश की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने हेतु सभी मौसम में दृश्य-श्रेणी से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
    • LCH 'प्रचंड': यह पहला स्वदेशी मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है जिसमें शक्तिशाली ज़मीनी हमले एवं हवाई युद्ध क्षमता है।
    • ICG ALH स्क्वाड्रन: भारतीय तट रक्षक की क्षमताओं को और मज़बूत करने हेतु जून तथा दिसंबर 2022 में पोरबंदर एवं चेन्नई में ALH Mk-III स्क्वाड्रनों को कमीशन किया गया था। 
  • चुनौतियाँ:  
    • तकनीकी अंतराल:त्याधुनिक रक्षा तकनीकों का विकास करना और उन्नत क्षमताएँ प्राप्त करना भारत हेतु गंभीर चुनौती है।
      • देश पारंपरिक रूप से महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों हेतु विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं पर निर्भर रहा है और तकनीकी अंतर को समाप्त करने हेतु अनुसंधान एवं विकास (Research and Development- R&D) में पर्याप्त निवेश के साथ-साथ उद्योग तथा शिक्षा जगत के सहयोग की आवश्यकता है।
    • अवसंरचना और विनिर्माण आधार: स्वदेशी उत्पादन को समर्थन देने हेतु मज़बूत रक्षा औद्योगिक आधार और अवसंरचना तैयार करना बड़ी चुनौती है।
      • भारत में रक्षा निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को अवसंरचना में सुधार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, कुशल कार्यबल विकास और सुव्यवस्थित खरीद प्रक्रियाओं के साथ आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।
    • परीक्षण और प्रमाणन: कठोर परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रियाओं के माध्यम से स्वदेशी रूप से विकसित रक्षा प्रणालियों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
      • उपयोगकर्त्ताओं और निर्यात बाज़ारों का विश्वास हासिल करने के लिये मज़बूत परीक्षण केंद्र विकसित करना और प्रभावी गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र स्थापित करना आवश्यक है। 

आगे की राह  

  • रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण: रक्षा संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, स्टार्टअप्स और प्रौद्योगिकी कंपनियों को एकजुट करने के लिये एक समर्पित रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है।
  • इसकी सहायता से स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में वृद्धि हेतु सहयोग, ज्ञान साझा करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • रक्षा प्रौद्योगिकी त्वरक: अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहे स्टार्टअप और लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) को सलाह, वित्त तथा संसाधन प्रदान करने के उद्देश्य से रक्षा प्रौद्योगिकी त्वरक की स्थापना की जानी चाहिये।
  • त्वरकों द्वारा रक्षा संगठनों के साथ जुड़ने, परीक्षण केंद्रों तक पहुँच प्रदान करने और नियामक प्रक्रियाओं में सहायता करने जैसी सुविधाओं को सरल बनाया जाना चाहिये।
  • रक्षा कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम: रक्षा से संबंधित विषयों में शिक्षा एवं उद्योग के बीच के अंतर को कम करने के लिये कौशल तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने की आवश्यकता है।
  • रक्षा प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष पाठ्यक्रम और प्रमाणन तैयार करने के लिये विश्वविद्यालयों तथा तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर काम करना इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत के रक्षा क्षेत्र के संदर्भ में “ध्रुव” क्या है? (2008)

(a) विमान ले जाने वाले युद्धपोत
(b) मिसाइल ले जाने वाली पनडुब्बी
(c) उन्नत हल्के हेलीकाप्टर
(d) अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल

उत्तर: (c)


मेन्स: 

प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थिरता के संदर्भ में विवेचना कीजिये। (2020

प्रश्न. S-400 हवाई रक्षा प्रणाली, इस समय विश्व में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली की तुलना में किस प्रकार तकनीकी रूप से श्रेष्ठ है? (2021) 

स्रोत: पी.आई.बी.

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